ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन में यह बात सामने आई है. विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से जनमत को अपने हिसाब से ढालना दुनियाभर में एक गंभीर ख़तरे के रूप में उभरा है.
सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और झूठी अफवाहें फैलने से देश में बढ़ रहीं मॉब लिंचिंग की घटनाओं के संबंध में साइबर क़ानून विशेषज्ञ और अधिवक्ता पवन दुग्गल से बातचीत.
जिन चार युवकों पर हमला हुआ उनमें एक क़तर का नागरिक भी शामिल है. युवक हैदराबाद से कर्नाटक एक रिश्तेदार से मिलने गए थे. वॉट्सऐप पर किसी ने उनके फोटो डालकर बच्चा चोर होने की अफवाह फैला दी.
भीड़ द्वारा निर्दोष लोगों को पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं की रोकथाम का केंद्र सरकार के पास कोई कार्यक्रम नहीं है, इसलिए वह सिर्फ़ राज्य सरकारों को सतर्क रहने को कहकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेना चाहती है.
विदेश मंत्री के लिए यह अच्छा अवसर था कि वे सामने आकर लगातार ट्विटर पर ट्रोलिंग का शिकार हो रही महिलाओं के प्रति अपना समर्थन जतातीं, लेकिन उनकी विनम्र प्रतिक्रिया दिखाती है कि उन्होंने ये अपमान का घूंट पी लिया है.
कांग्रेस नेता प्रियंका चतुर्वेदी के नाम से चल रहे एक फेक ट्वीट के जवाब में अभद्र टिप्पणी करने वाले इस व्यक्ति पर गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद पोक्सो सहित विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उन ट्रोल सेनानियों को सभ्य भाषा का प्रयोग करना सिखा रही हैं, जो 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद से ही महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को नितांत असभ्य ढंग से निशाना बनाते आ रहे हैं.
जन गण मन की बात की 268वीं कड़ी में विनोद दुआ कश्मीर और सोशल मीडिया पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ट्रोलिंग पर चर्चा कर रहे हैं.
पासपोर्ट विवाद के बाद सोशल मीडिया पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर हो रही अभद्र टिप्पणियों पर स्वराज के समर्थन में बोलने वाले राजनाथ सिंह एकमात्र मंत्री और भाजपा नेता हैं.
बीते दिनों से सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना कर रहीं मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट करते हुए कहा कि सभ्य भाषा में की गई आलोचना ज़्यादा असरदार होती है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत में कोई भी धार्मिक त्योहार, चाहे दीवाली हो या क्रिसमस या ईद-उल-फितर सभी लोगों को एक साथ लाते हैं.
पासपोर्ट विवाद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्विटर पर गाली-गलौज और बेहद अपमानजनक टिप्पणियों का सामना करना पड़ रहा है.
एएमयू को एक लड़की की गुस्ताख़ी पसंद नहीं आई, इसलिए एक ऐसा नारा जो इस्लामिक भी नहीं है उस पर हायतौबा मची है. ये देखना भी कम दिलचस्प नहीं है कि यूनिवर्सिटी किसी ज़िम्मेदार शैक्षणिक संस्थान की तरह व्यवहार करने की बजाय फ़तवे की किताब खोलकर बैठ गई है.
हाल ही में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के वायरल हुए वीडियो में किया गया दावा कितना सही है?
पुलिस में दर्ज कराई शिकायत में सांसद ने कहा है कि ऐसे पोस्ट वॉट्सऐप और अन्य दूसरे माध्यमों से सामाजिक सौहार्द्रता और भाईचारे को नुकसान पहुंचाने के लिए फैलाए जा रहे हैं.