पुलिस के अनुसार हमले में कोई पत्रकार घायल नहीं हुआ है. वहीं राज्य के एक मीडिया संगठन का कहना है कि यह हमला अचानक हुई घटना नहीं है बल्कि सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देब के मीडिया को कथित तौर पर धमकाने के बाद राज्य भर में पत्रकारों पर हुए लगातार हमलों का हिस्सा है.
मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने शुक्रवार को कहा था कि ‘कुछ अति उत्साहित अख़बार’ राज्य में कोविड-19 की स्थिति के बारे में जनता में भ्रम फैला रहे हैं, जिन्हें मैं कभी माफ़ नहीं करूंगा. मीडिया संगठनों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि राज्य सरकार मीडिया को अपना ग़ुलाम बनाने की कोशिश कर रही है.
बंद के दौरान झड़पों में 11 घायल, एडिटर्स गिल्ड ने कहा, दो पत्रकारों की हत्या यह संकेत है कि त्रिपुरा में पत्रकारों पर गंभीर खतरा है, सरकार सुरक्षा दे.
हत्या के विरोध में भाजपा, कांग्रेस ने किया त्रिपुरा बंद का ऐलान, सत्तारूढ़ माकपा ने कहा सरकार की उचित कार्रवाई के बावजूद हत्या का राजनीतिकरण कर रही हैं पार्टियां.
संपादक का आरोप है कि सुदीप की हत्या इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने कमांडेंट का पर्दाफ़ाश करने के लिए 11 ख़बरें लिखी थीं.
बीते 20 सितंबर को एक राजनीतिक पार्टी के प्रदर्शन को कवर करने गए टीवी पत्रकार शांतनु भौमिक की भी हत्या कर दी गयी थी.