नल जल योजना में स्रोत से लेकर गांव की हद तक पानी पहुंचाने का काम कंपनियों को सौंपा गया है. कोई गारंटी नहीं कि कंपनी आपूर्ति के मूल जल-स्रोत पर अपना हक़ नहीं जताएगी. एकाधिकार हुआ तो सिंचाई आदि के लिए पानी से इनकार किया जा सकता है, वसूली भी हो सकती है. मोदी सरकार की अन्य कई योजनाओं की तरह नल-जल का एजेंडा काॅरपोरेट नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है?
विशेष रिपोर्ट: नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले उनकी सरकार के 'सात निश्चय' की सफलता का दावा करते हुए इसके 'पार्ट-2' की घोषणा की है. हालांकि आंकड़े बताते हैं कि पार्ट-1 में शामिल कुछ योजनाएं कुछ ज़िलों में ज़मीन पर ही नहीं उतरी हैं और जहां शुरू हुईं, वहां महज़ कुछ फ़ीसदी काम पूरा हुआ है.