‘एनडीए अब गठबंधन नहीं भाजपा के वर्चस्व वाला जमावड़ा है, जिसमें अधिकतर घटक दल मजबूरी में हैं’

साक्षात्कार: डाॅ. रामबहादुर वर्मा जाने-माने राजनीति विज्ञानी, लेखक व स्तंभकार हैं, जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति के दो टूक विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं. 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र उनसे बातचीत.

अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी चुनाव में समान अवसर की स्थिति को ख़त्म करना है: विपक्ष

लोकसभा चुनावों से पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के समर्थन में एकजुट होकर 'इंडिया' ब्लॉक के नेताओं ने निर्वाचन आयोग से संपर्क करते हुए आरोप लगाया कि उनकी गिरफ़्तारी सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसियों का घोर और दुस्साहसिक दुरुपयोग, जिसका चुनाव की निष्पक्षता एवं स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ता है.

बेंगलुरु: तेजस्वी सूर्या समेत 3 भाजपा सांसदों के ख़िलाफ़ हेट स्पीच, आचार संहिता उल्लंघन का केस

भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या, पीसी मोहन और शोभा करंदलाजे ने नागरथपेटे में एक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, जो बीते 17 मार्च की एक घटना को लेकर था. सांसदों का आरोप है कि अज़ान के दौरान हनुमान चालीसा बजाने पर एक हिंदू दुकानदार पर हमला किया गया, जबकि स्थानीय भाजपा विधायक ने घटना के सांप्रदायिक होने से इनकार कर दिया था.

चुनावी बॉन्ड की असली क़ीमत कौन अदा कर रहा है?

चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों में सड़क, खनन और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी बड़ी कंपनियों का शामिल होना दिखाता है कि भले चंदे की राशि राजनीतिक दलों को मिल रही है, लेकिन इनकी क़ीमत आम आदिवासी और मेहनतकश वर्ग को चुकानी पड़ रही है, जिसके संसाधनों को राजनीतिक वर्ग ने चंदे के बदले इन कंपनियों के हाथों में कर दिया.

चुनावी बॉन्ड: तीन वामपंथी दलों ने चुनाव आयोग को बताया- बॉन्ड से चंदा नहीं लिया

देश के तीन वामपंथी दलों - भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने चुनाव आयोग को बताया कि उन्हें चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई पैसा नहीं मिला है.

चुनावी बॉन्ड: शीर्ष खरीदारों ने चार सालों तक अपने मुनाफ़े से छह गुना अधिक चंदा दिया

राजनीतिक दलों को सर्वाधिक चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 12 अप्रैल, 2019 से 24 जनवरी, 2024 के बीच अपने लाभ के छह गुना से अधिक चंदा दिया है. पार्टियों को चंदा देने में दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल का नाम भी शामिल है, जिसने घाटे के बावजूद चुनावी बॉन्ड खरीदे.

30 फार्मा और स्वास्थ्य सेवा कंपनियों ने मिलकर 900 करोड़ रुपये से ज़्यादा के चुनावी बॉन्ड खरीदे

निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित जानकारी की अवधि में कुल 12,155 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे गए थे. इस राशि का लगभग 7.4% फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों ने खरीदा था. इसमें से यशोदा सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल ने अप्रैल 2022 में सर्वाधिक छह चरणों में 80 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 80 करोड़ रुपये है.

एसबीआई के आंकड़ों में विसंगति, खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की तुलना में भुनाए गए बॉन्ड की रकम ज़्यादा

निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार को जारी चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों के अनुसार, राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए बॉन्ड की कुल राशि  12,769 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि खरीदे गए बॉन्ड्स कुल 12,155 करोड़ रुपये के थे.

क्यों चुनाव आयोग की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ चुकी है?

बिना कोई कारण बताए चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफ़ा इस बात का नवीनतम उदाहरण है कि पिछले पांच वर्षों में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता कैसे संदेह के घेरे में आ गई है.

सरकार द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समिति से सीजेआई को हटाना समझ से परे: अशोक लवासा

पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने एक आलेख में चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करने के क़ानून पर कहा है कि मोदी सरकार द्वारा नियुक्ति समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर करने से विभिन्न पूर्वाग्रहों को बल मिलता है और लगता है कि यह आम सहमति बनाने की बजाय बहुमत सुनिश्चित करने की कोशिश है. 

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयुक्त का इस्तीफ़ा, निर्वाचन आयोग में बस एक सदस्य बाक़ी

आम तौर पर निर्वाचन आयोग तीन आयुक्तों की अध्यक्षता में काम करता है, अब उसमें केवल एक सदस्य- मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं.

क्या भारतीय स्टेट बैंक ‘प्रधानमंत्री चंदा छिपाओ’ योजना की तरह काम कर रहा है?

भारतीय स्टेट बैंक का सारा कामकाज डिजिटल प्रणाली से होता है. किसी भी तरह का रिकॉर्ड या जानकारी हासिल करना हो तो केवल एक क्लिक से हो जाता है. पर बैंक पूरे देश के सामने झूठ बोल रहा है कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी हासिल करने में काफी वक़्त लगेगा. यह झूठ किसके दबाव में बोला जा रहा है?

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