नोटबंदी के बाद पेट्रोल पंप, सरकारी अस्पताल, रेल, सार्वजनिक परिवहन और बिजली-पानी आदि के बिल भुगतान के लिए पांच सौ और हज़ार रुपये के पुराने नोट देने की छूट दी गई थी. एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने बताया है कि इस तरह जमा हुए नोटों का कोई आंकड़ा नहीं है.
जन गण मन की बात की 298वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी पर आई हालिया रिपोर्ट पर नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर चर्चा कर रहे हैं.
सरकार का कहना था कि बंद किए गए नोटों में से लगभग 3 लाख करोड़ मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आएंगे और यह काले धन पर कड़ा प्रहार होगा, लेकिन रिज़र्व बैंक मुताबिक अब नोटबंदी के बाद जमा हुए नोटों का प्रतिशत 99 के पार पहुंच गया है. यानी या तो इन नोटों में कोई काला धन था ही नहीं या उसके होने के बावजूद सरकार उसे निकालने में विफल रही.
जन गण मन की बात की 297वीं कड़ी में विनोद दुआ रिज़र्व बैंक द्वारा नोटबंदी पर दी गई वार्षिक रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं.
रिजर्व बैंक के दावे के उलट एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि 2000 और 500 के नए नोट आने के बावजूद नकली नोटों में इजाफा हो सकता है.
भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट आई है कि नोटबंदी के वक्त 15.41 लाख करोड़ सर्कुलेशन में था, जिसमें से 15.31 लाख करोड़ वापस आ गया है. यानी व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी का यह दावा कि नोटबंदी से ब्लैक मनी नष्ट हो जाएगा, बोगस निकल गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आरबीआई की रिपोर्ट से फिर साबित हो गया कि नोटबंदी व्यापक स्तर की ‘मोदी मेड डिजास्टर’ थी.
नोटबंदी के समय 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस बैंक के निदेशक हैं. एक आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ था कि नोटबंदी के फैसले के बाद पांच दिन के भीतर बैंक से करीब 750 करोड़ रुपये बदलवाए गए थे.
केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी के बाद महज पांच दिनों के भीतर अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में असामान्य ढंग से जमा हुई बड़ी राशियों की जांच न कराना अजीब है, जबकि ऐसा करने के लिए नया बेनामी लेन-देन कानून भी है, जिसे बनाया ही इसी मकसद से गया है.
बैंक में गड़बड़ी न होने की नाबार्ड की सफ़ाई से साफ़ है कि इस संस्था पर भरोसा नहीं किया जा सकता. ऐसे समय जब सरकारी संस्थाएं और मीडिया चुप हों तो जनता को आगे आना चाहिए.
मुंबई के मनोरंजन ए रॉय ने आरटीआई से जानकारी प्राप्त की है कि 8 नवंबर को नोटबंदी लागू होने से लेकर 14 नवंबर तक अहमदाबाद ज़िला सहकारिता बैंक में 745 करोड़ और राजकोट के ज़िला सहकारिता बैंक में 693 करोड़ जमा हुए.
एक आरटीआई के अनुसार 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद 5 दिन के अंदर अहमदाबाद ज़िला सहकारी बैंक में तकरीबन 750 करोड़ रुपये की प्रतिबंधित करेंसी जमा हुई, जो किसी सहकारी बैंक में जमा हुई सर्वाधिक राशि है.
सूचना के अधिकार के तहत रिज़र्व बैंक ने बताया कि लौटाए गए नोटों की अंकगणितीय सटीकता और वास्तविकता की पहचान की जा रही है. इसलिए इस संबंध में मिलान एवं गणना की प्रक्रिया के पूरे होने पर ही जानकारी साझा की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केंद्र के नोटबंदी के फ़ैसले की वैधता के साथ जमा कराने से संबंधित पहलू पर भी पांच सदस्यीय पीठ विचार करेगी.