साक्ष्य बताते हैं कि आधार के सहारे फ़र्ज़ी बताए गए राशन कार्डों की संख्या का प्रधानमंत्री द्वारा किया गया दावा वास्तविकता से कई गुना ज़्यादा था.
समझ में नहीं आता कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान पीठ को सौंपा हुआ है तो उसका फैसला आए बिना सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार की ऐसी अनिवार्यता थोपने का क्या तुक है.
एक आरटीआई आवेदन पर सुनवाई करते हुए केंद्नीय सूचना आयोग ने भी कहा है कि आधार जोड़ने के नाम पर वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन का भुगतान होने में देरी नहीं होनी चाहिए.