बीते 22 अगस्त को जम्मू कश्मीर छह क्षेत्रीय पार्टियों ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसकी बहाली के लिए मिलकर संघर्ष करने के लिए गठबंधन का ऐलान किया था और एक घोषणा-पत्र जारी किया था.
जम्मू कश्मीर के छह दल अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसकी बहाली के लिए एकजुट हुए हैं. गठबंधन ने जम्मू कश्मीर राज्य के झंडे को अपने निशान के रूप में अपनाते हुए बीते एक साल के शासन पर श्वेतपत्र जारी करने की बात कही है.
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जल्द ही ईडी के समनों का जवाब देगी. उमर ने यह भी कहा कि यह ‘गुपकर घोषणा’ के तहत ‘पीपुल्स अलायंस’ के गठन के बाद की जा रही प्रतिशोध की राजनीति है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि ज़िला विकास परिषद के ज़रिये स्थानीय सरकार और मज़बूत होगी. हालांकि कश्मीर के राजनीतिक दलों का कहना है कि इसका उद्देश्य राजनीति ख़त्म करना है.
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि एक आदेश जारी कर पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य की विधानसभा द्वारा लागू किए गए कुछ क़ानूनों में नामों और कुछ शब्दों में बदलाव किया गया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस तथा तीन अन्य दलों ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए मिलकर लड़ने का ऐलान करते हुए एक घोषणापत्र जारी किया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के इसे समर्थन देने की बात पर पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने यह टिप्पणी की है.
केंद्र सरकार द्वारा जारी नए नियमों के ज़रिये केंद्रशासित जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र से कई विभाग वापस ले लिए गए हैं और इसके चलते महत्वपूर्ण मामलों में उप-राज्यपाल के ज़रिये केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से अंतिम निर्णायक विभाग होगा.
जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वे संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली, जम्मू कश्मीर के संविधान और राज्य की बहाली के लिए प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और राज्य का कोई भी विभाजन उनके लिए अस्वीकार्य है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उनका मानना है कि कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अपूर्ण है और वे उन्हें ससम्मान वापस लाने की किसी भी प्रक्रिया का समर्थन करेंगे.
यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए चुना गया यह समय एक छोटी रेखा के बगल में बड़ी रेखा खींचने की क़वायद है, ताकि नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की बढ़ती असफलताएं जैसे- कोविड कुप्रबंधन, बदहाल होती अर्थव्यवस्था और गलवान घाटी प्रसंग- इस परदे के पीछे चले जाएं.
ऑडियो: जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए के कई प्रावधानों के ख़त्म होने और राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म कर दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फ़ैसले को एक साल पूरा हो रहा है. इस बारे में गुरमेहर कौर का नज़रिया.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल क़यूम बीते अगस्त से पीएसए के तहत आगरा की एक जेल में हिरासत में हैं. उनकी हिरासत बरक़रार रखने के प्रशासन के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए क़यूम ने कहा कि इस हिरासत का समर्थन करने के लिए सरकार के पास कोई सबूत नहीं हैं.
एनसीईआरटी की कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर की अलगाववादी राजनीति से जुड़ी जानकारियों को हटा दिया है, जबकि चुनावी राजनीति और राज्य के विशेष दर्ज़े को ख़त्म किए जाने संबंधी पाठ को शामिल कर लिया गया है.
पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद प्रशासन ने राज्य के मुख्यधारा के कई नेताओं समेत राजनीतिक कार्यकर्ताओं को नज़रबंद कर दिया था या फिर हिरासत में ले लिया था. इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर भी शामिल थे.
भारत और नेपाल दोनों लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं. हाल ही में जारी नए राजनीतिक मानचित्र में नेपाल ने इन हिस्सों को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया है.