नजीब अहमद की मां की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश दिया.
बीते साल 14 अक्टूबर की रात को एबीवीपी सदस्यों के साथ अपने हॉस्टल में कथित तौर पर हुए झगड़े के बाद से नजीब अहमद लापता हैं.
बरेली कॉलेज में हिंदी विभाग की ओर आयोजित सेमिनार में बीएचयू के रिटायर्ड प्रोफेसर चौथीराम यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए एबीवीपी ने कहा था कि उन्होंने 'आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और गोलवलकर की तुलना आतंकी से की है.'
साक्षात्कार: उत्तर प्रदेश में भाजपा को भारी बहुमत मिला है. केंद्र और राज्य में अब भाजपा की सरकार है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भाजपा का बुनियादी मुद्दा रहा है. अयोध्या से पांच बार विधायक रहे और अभी फैजाबाद के सांसद लल्लू सिंह से राम मंदिर समेत तमाम दूसरे मुद्दों पर बातचीत.
हिंसा में दो पक्ष ज़रूर होते हैं, लेकिन बराबर नहीं. हिटलर की जर्मनी में भी दो पक्ष थे और गुजरात में भी दो पक्ष थे. जेएनयू में भी दो पक्ष थे और रामजस कॉलेज में भी दो पक्ष हैं. उनमें से एक हमलावर है, और दूसरा जिस पर हमला हुआ, यह कहने में हमारी संतुलनवादी ज़बान लड़खड़ा जाती है.
शहीद की बेटी के नाम एक ख़त: ‘अभय व्यक्ति राष्ट्र की सबसे बड़ी निधि है और उसका अभिप्राय केवल शारीरिक साहस से ही नहीं, बल्कि मानसिक निर्भयता से भी है.’
संघ ब्रिगेड द्वारा उनकी विचारधारा के ख़िलाफ़ उठने वाली हर आवाज़ को दबाने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है.
‘जन की बात’ की 11वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ रामजस कॉलेज विवाद और राइट टू रिकॉल पर चर्चा कर रहे हैं.
भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, ‘यह लोकतंत्र है, यहां सबको बोलने का अधिकार है. अगर किसी बात से आप सहमत नहीं हैं तो भी इसका जवाब हिंसा से देना ठीक नहीं.’
कश्मीर में लोकतंत्र कमज़ोर है इसलिए अफ़ज़ल गुरु को शहीद बताने वालों के साथ सरकार चला कर उसे मजबूत करना है और दिल्ली में लोकतंत्र बहुत मजबूत है इसलिए सेमिनार में गुंडागर्दी कर के इसे कमज़ोर करना है.
अच्छा होता केंद्र सरकार शैक्षिक परिसरों में खुलापन क़ायम करने का प्रयास करती. गुंडा तत्वों, उत्पात मचाने वालों और गुरमेहर को हत्या व रेप आदि की धमकी देने वालों की मुस्तैदी से धरपकड़ की जाती.
‘जन की बात’ की नवीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ गुरमेहर कौर के वीडियो पर हुई ट्रॉलिंग और अभिव्यक्ति की आज़ादी की सीमा तय करने संबंधी अरुण जेटली के बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
रामजस विवाद: द वायर के पास मौजूद आॅडियो रिकॉर्डिंग में एबीवीपी समर्थक कहता है, ‘हमारे कॉलेज में आके प्रोटेस्ट करेंगे तो पिटेंगे ही... एक बंदे को इतना मारा, मार-मार के लाल कर दिया.’
बीते दिनों रामजस कॉलेज में हुई हिंसा यह साफ़ दिखाती है कि अगर इस तरह की राजनीति से प्रेरित ग़ुंडागर्दी को नहीं रोका गया तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं.
रामजस कॉलेज में एक सेमिनार को लेकर हुए विवाद के बाद से सोशल मीडिया पर एक कैंपेन शुरू हुआ है. इस कैंपेन को नाम दिया गया है, ‘आई ऐम नॉट अफरेड आॅफ एबीवीपी.’