अरुणा रॉय का संस्मरण सिर्फ उनका नहीं, एक पूरे सामुदायिक आंदोलन का संस्मरण है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अरुणा रॉय अथक स्वप्नदर्शी कर्मशील हैं. उन्होंने मौलिक नवाचार किया है पर वे जड़ों पर भी जमी रही हैं. उनके संस्मरण में ‘मैं’ बहुत सहजता से ‘हम’ में बदलता रहता है.

अरुणा रॉय: देवडूंगरी की दीपशिखा

इस देश के गांवों में बसने वाले लोगों को साथ लेकर बदलाव की मुहिम शुरू करना और एक बदलाव को सामने ला देना एक बड़ी बात है. अरुणा रॉय ने यह कर दिखाया है.

कार्यकर्ता जनतंत्र का पहला व्यक्ति है जो जन के लिए इस तंत्र को संभव बनाता है

जनता और राज्य के बीच का रिश्ता उन संस्थाओं के ज़रिये तय होता है जो उसे उपेक्षा और ज़्यादातर बार तिरस्कार की निगाह से देखती हैं. इस तंत्र की पहचान जन को करवाना कार्यकर्ता का काम है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की चौबीसवीं क़िस्त.