कार्यकर्ता रोना विल्सन को 10 सालों के साइबर जासूसी प्रयासों के बाद निशाना बनाया गयाः रिपोर्ट

साइबर सिक्योरिटी फर्म सेंटिनलवन के अमेरिकी विशेषज्ञों के निष्कर्ष बताते हैं कि एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन को एक दशक के लंबे प्रयास के बाद निशाना बनाया गया. इससे पहले डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग ने विल्सन के ख़िलाफ़ पेश इलेक्ट्रॉनिक सबूतों का अध्ययन करने के बाद कहा था कि उनके आईफोन में पेगासस के साक्ष्य मिले थे.

अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन के आईफोन में पेगासस स्पायवेयर डाला गया था: फॉरेंसिक रिपोर्ट

अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक्स कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार क़ैदियों के अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन के फोन को कई बार सफलतापूर्वक हैक किया गया था.

एल्गार मामला: पिता के निधन के बाद पारिवारिक कार्यक्रम के लिए रोना विल्सन को अस्थायी ज़मानत मिली

एल्गार परिषद मामले में सबसे पहले गिरफ़्तार हुए रोना विल्सन के पिता का बीते अगस्त में निधन हो गया था. उनके निधन के तीस दिन पूरे होने पर चर्च में आयोजित मास में शामिल होने के लिए एनआईए अदालत ने विल्सन को 13 से 27 सितंबर तक अस्थायी ज़मानत दी है.

पेगासस खुलासे के बाद एल्गार परिषद मामले को नई रोशनी में देखा जाना चाहिए: पूर्व पुलिस अधिकारी

एक कार्यक्रम में तीन वरिष्ठ सेवानिवृत्त शीर्ष पुलिस अधिकारियों- जूलियो रिबेरो, वीएन राय और एसआर दारापुरी ने कहा कि एल्गार परिषद मामले में इस बात की व्यापक जांच होनी चाहिए कि आरोपियों के फोन और लैपटॉप जैसे डिवाइस में जाली सबूत पहुंचाने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था या नहीं.

पेगासस हमला: एल्गार परिषद मामले में पहले से बिछाया गया था स्पायवेयर निगरानी का जाल

द वायर और सहयोगी मीडिया संगठनों द्वारा हज़ारों ऐसे फोन नंबरों, जिनकी पेगासस स्पायवेयर द्वारा निगरानी की योजना बनाई गई थी, की समीक्षा के बाद सामने आया है कि इनमें कम से कम नौ नंबर उन आठ कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों के हैं, जिन्हें जून 2018 और अक्टूबर 2020 के बीच एल्गार परिषद मामले में  कथित भूमिका के लिए गिरफ़्तार किया गया था.

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारत सरकार को लिखा, भीमा कोरेगांव मामले के बंदियों को फ़ौरन रिहा करें

शिक्षाविदों, यूरोपीय संघ के सांसदों, नोबेल पुरस्कार विजेताओं और अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारतीय जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की दयनीय स्थिति और उचित मेडिकल देखरेख न होने पर चिंता जताते हुए कहा है कि उन्हें कोरोना वायरस के नए और अधिक घातक स्ट्रेन से संक्रमित होने का गंभीर ख़तरा है.

एल्गार परिषद: परिजनों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की

भीमा-कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद सम्मेलन के संबंध में साल 2018 से अब तक 15 अधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया है. इनके परिजनों ने कोविड-19 की दूसरी लहर को देखते हुए इनकी रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि ये सभी लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं और उनमें से एक कार्यकर्ता को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है.

एल्गार परिषद: एनआईए ने कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर को हैक करने से इनकार किया

भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.

भीमा कोरेगांव: क्या रोना विल्सन के कंप्यूटर में प्लांट किए गए थे उन्हें आरोपी ठहराने वाले पत्र

वीडियो: भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपियों के वकील ने दावा किया है कि आरोपियों में से एक रोना विल्सन के लैपटॉप से बरामद कथित साजिश के मेल खुद उन्होंने नहीं लिखे थे बल्कि इन्‍हें प्लांट करवाया गया था. क्या है यह पूरा मामला, बता रहे हैं मुकुल सिंह चौहान.

रोना विल्सन के लैपटॉप में प्लांट किए गए थे ‘आपराधिक’ पत्र: यूएस डिजिटल फॉरेंसिक फर्म

एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. अब मामले के इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.

भारत मानवाधिकारों के समर्थकों को उचित सुरक्षा नही देताः संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि

मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में एल्गार परिषद मामले में हुई 83 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी पर चिंता जताते हुए कहा कि देश मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति जवाबदेह है.

‘फूट डालो और राज करो’ को मानने वालों के लिए आदिवासी किसान नहीं हैं

एक ओर कॉरपोरेट्स सभी आर्थिक क्षेत्रों और राज्यों की सीमाओं में अपना काम फैलाने के लिए स्वतंत्र हैंं, वहीं देश भर के किसानों के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ साथ आ जाने पर भाजपा उनके आंदोलन में फूट डालने का प्रयास कर रही है.

स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी सामाजिक कार्यकर्ताओं को डराने का प्रयास है

केंद्र सरकार द्वारा स्टेन स्वामी सहित देश के 16 सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार करना आंदोलनरत जनसंगठनों और उनसे जुड़े नेताओं को भयभीत कर इन आंदोलनों को कमज़ोर करने की कोशिश है.

आदिवासियों के पड़ोसी फादर स्टेन स्वामी आज जेल में हैं

हमारे देश और राज्य को सुरक्षित रखने के नाम पर अगर स्टेन स्वामी को क़ैद में डाला जा सकता है तो क्या हम ख़ुद को आज़ाद कहलाने के क़ाबिल रह गए हैं?