अमर्त्य सेन समेत शिक्षाविदों ने भारत में आलोचकों को बिना मुक़दमे लंबी क़ैद में रखने की आलोचना की

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन सहित अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों ने बड़ी संख्या में लेखकों, पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स को बिना मुक़दमे के लंबे समय तक क़ैद में रखने की आलोचना की और कहा कि ऐसे कारावास को भारतीय संसद द्वारा पारित ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम में संशोधन के माध्यम से विधायी समर्थन दिया गया है.

तेलंगाना सरकार प्रो. हरगोपाल, सुधा भारद्वाज समेत 152 अन्य के ख़िलाफ़ यूएपीए का केस ‘वापस’ लेगी

तेलंगाना पुलिस ने अगस्त 2022 में प्रो. हरगोपाल, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा समेत 152 लोगों पर ‘हथियार के बल पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार गिराने’ की साज़िश का आरोप लगाते हुए यूएपीए और अन्य संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया था. नामज़द लोगों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.

प्रो. हरगोपाल, सुधा भारद्वाज समेत 150 पर बीते साल यूएपीए का केस दर्ज हुआ, नामजदों को ख़बर नहीं

तेलंगाना पुलिस ने अगस्त 2022 में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर 'हथियारों के बल पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार गिराने' की साज़िश का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था, जिसमें यूएपीए सहित विभिन्न धाराओं में 152 लोगों को आरोपी बनाया गया. नामजद लोगों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.

स्कॉलर्स-कार्यकर्ताओं पर पीएमएलए की कार्रवाई के ख़िलाफ़ विभिन्न संगठनों ने पत्र लिखा

500 से अधिक नागरिकों, अधिकार कार्यकर्ताओं, महिला समूहों, छात्रों और शिक्षाविदों ने मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए लिखा है कि यूएपीए की तरह ही पीएमएलए के दुरुपयोग के भी मामले बढ़ रहे हैं, ख़ासकर उन लोगों के ख़िलाफ़ जो सरकार और इसकी नीतियों के मुखर आलोचक हैं.

जो जनता के हित में अप्रिय सत्य बोलता है, सत्ता उसे जनता का दुश्मन घोषित कर देती है

कोलकाता में हुए एक फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन का सत्यजीत रे की 'गणशत्रु' ज़िक्र करते हुए लगाया गया अनुमान ठीक है कि आज जनता के लिए आवाज़ उठाने वाले रे की फिल्म के 'डॉक्टर गुप्ता' ही हैं, जो जनता को सावधान करना चाहते हैं, मगर सत्ता सफल हो जाती है कि जनता उन्हें ही अपना शत्रु मानकर उनकी हत्या को आमादा हो जाए.

जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन बेरोक-टोक जारी है: रिपोर्ट

जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति पर जारी 'द फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स इन जम्मू एंड कश्मीर' की रिपोर्ट में अगस्त 2021 से जुलाई 2022 के बीच हुए सूबे के उन घटनाक्रमों  की बात की गई है जो मानवाधिकार उल्लंघनों की वजह बने. साथ ही, मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिए कुछ सिफ़ारिशें भी की गई हैं.

पत्रकारों, कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारियां और अदालतों के धर्म पर कपिल सिब्बल क्या कहते हैं

वीडियो: पिछले कुछ दिनों से देश में हो रही पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारियां और इन मामलों पर अदालतों के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट के वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

‘न्यू इंडिया’ में सवाल या प्रतिरोध की आवाज़ उठाने से पहले ‘जेल डेबिट कार्ड’ अनिवार्य किया जाए

किसी भी बात पर जेल भेज दिए जाने की आशंका में जीना एक तरह से जेल में जीना ही है. ऐसे हालात में कोर्ट या सरकार जेल डेबिट कार्ड की व्यवस्था लागू कर दें, ताकि ट्विटर पर जब भी अभियान चले कि फलां को गिरफ़्तार करो, जेल भेजो तब उस व्यक्ति के जेल डेबिट कार्ड से पुलिस उतनी सज़ा की अवधि डेबिट कर ले.

भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत 85वें स्थान पर: रिपोर्ट

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के ख़िलाफ़ बोलने वाले नागरिक समाज संगठनों को मानहानि, देशद्रोह, अभद्र भाषा, अदालत की अवमानना ​​संबंधी आरोपों और विदेशी फंडिंग पर नियमों के साथ निशाना बनाया गया है.

लोकपाल के समक्ष दर्ज शिकायतों में तेज गिरावट, या तो इसे प्रभावी बनाएं या भंग करें- पूर्व सीआईसी

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने लोकपाल के समक्ष दर्ज शिकायतों की संख्या में गिरावट का हवाला देते हुए कहा है कि यह बिना जवाबदेही के वरिष्ठ नागरिकों का क्लब बन गया है. उन्होंने कहा कि बहुत उम्मीदों के साथ लोकपाल का गठन हुआ था लेकिन अफ़सोस है कि इसका भ्रष्टाचार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

500 से अधिक कार्यकर्ताओं, वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिखा- केंद्र से पूछें पेगासस खरीदा या नहीं

द वायर सहित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने सिलसिलेवार रिपोर्ट्स में बताया है कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से ज़्यादा पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं समेत 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग हुई या वे संभावित निशाने पर थे.

पेगासस जासूसी के निशाने पर आंबेडकरवादी, श्रम कार्यकर्ता और जेएनयू छात्र भी थे

वीडियो: पेगासस प्रोजेक्ट द्वारा प्राप्त किए गए लीक डेटाबेस में ऐसे कई जाति-विरोधी एवं नामी कार्यकर्ताओं के नंबर शामिल हैं, जिनकी इज़रायल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा निगरानी किए जाने की संभावना है. इसमें आंबेडकरवादी कार्यकर्ता अशोक भारती, जेएनयू के छात्र उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्य करने वाली बेला भाटिया आदि के नंबर शामिल हैं.

सर्विलांस सूची में आंबेडकरवादियों से लेकर मज़दूर कार्यकर्ता और कई जेएनयू छात्रों के नाम शामिल

पेगासस प्रोजेक्ट: द वायर द्वारा प्राप्त किए गए लीक हुए नंबरों के डेटाबेस में केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने वाले ऐसे लोगों के नंबर दर्ज हैं, जिन संभावित सर्विलांस की योजना बनाई गई थी.

180 से अधिक बुद्धिजीवियों का विपक्षी दलों को पत्र, कहा- कोरोना से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाएं

दुनियाभर के 187 प्रख्यात शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, लेखकों, फिल्मकारों ने विपक्षी दलों को पत्र लिखकर कहा है कि इस अप्रत्याशित संकट की घड़ी में अधिकतर राजनीतिक दल लोगों के हित में निष्पक्ष तरीके से काम करने को तैयार हैं. फिर भी भारत सरकार ने न तो इनके सुझावों का स्वागत किया है और न ही सभी दलों, राज्य सरकारों, विशेषज्ञों को साथ लेकर राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है.

‘देश ख़तरे में है’ का हौवा स्वतंत्र विचारधारा वालों को प्रताड़ित करने का बहाना है

देश में 2017 से 2019 के बीच राष्ट्र विरुद्ध अपराधों के आरोप में प्रति वर्ष औसतन 8,533 मामले दर्ज किए गए. दुनिया का कोई देश अपने ही नागरिकों पर उसे नुकसान पहुंचाने के इतने केस दर्ज नहीं करता. अगर ये सब केस सच हैं तो दो बातें हो सकती हैं- या तो देश में असल में इतने गद्दार हैं, या देश के निर्माण में ही कोई मूलभूत गड़बड़ी है.