ओडिशा के आदिवासी इलाकों में कपास और उसके बाद हुई बीटी कॉटन की खेती ने बेहिसाब त्रासदी को जन्म दिया है. इसने जमीन को किसी अन्य फसल के लायक नहीं छोड़ा, और छिड़के गए कीटनाशकों ने स्थानीय लोगों के बीच कैंसर को जन्म दे दिया. युवा शोधार्थी शुभम सिंह की ज़मीनी रिपोर्ट जो संस्मरण और पत्रकारिता की संधि पर दर्ज होती है.
ओबीसी के वर्गीकरण पर सरकार द्वारा गठित रोहिणी आयोग के सदस्य जेके बजाज ने एससी/एसटी कोटा वर्गीकरण का समर्थन करते हुए कहा कि व्यक्तिगत रूप से वे जाति जनगणना के पक्ष में हैं. उन्होंने जोड़ा कि चूंकि 50% दाखिले और नियुक्तियां जाति के आधार हो रहे हैं, इसलिए डेटा न होना ख़ुद को अंधेरे में रखने जैसा है.
हिंदी पट्टी में भाजपा ने 51 सीटें गंवा दी हैं, जिनमें से 22 सीटें सवर्ण सांसदों के पास और केवल सात सीटें ओबीसी सांसदों के पास थीं.
भारत आदिवासी पार्टी ने स्थापना के मात्र ढाई महीने बाद हुए राजस्थान और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में 35 निर्वाचन क्षेत्रों (27 राजस्थान और 8 मध्य प्रदेश) में चुनाव लड़कर 4 सीटों पर जीत हासिल की.
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आयुष चिकित्सकों और संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान तक पहुंच रखने वाले लोगों के लिए एफईबीएस प्रावधान को हटा दिया है और स्थानीय समुदायों को उनके संसाधनों से होने वाले व्यावसायिक लाभों से वंचित करने के लिए पतंजलि जैसी कंपनियों के लिए द्वार खोल दिए हैं.
हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को ऐसे समय में विपरीत परिस्थतियों का सामना करना पड़ा है, जब कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव हैं और इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. हालांकि, ऐसी स्थिति में निकाली जा रही झामुमो की 'न्याय यात्रा' को आदिवासी समुदाय का खासा समर्थन मिल रहा है.
सरकार जिस उमर ख़ालिद उनके मज़हब तक सीमित कर देना चाहती है, पर वो एक गंभीर शोधार्थी हैं, जिनकी पीएचडी का विषय सिंहभूम का आदिवासी समाज हैं. उनकी थीसिस में लिखा गया हर शब्द एक ऐसे शख़्स को हमारे सामने लाता है, जो बेहद गहराई से लोकतंत्र और इसके अभ्यासों के साथ जिरह कर रहा है.
साक्षात्कार: बस्तर में चल रहे संघर्ष और दमन पर समाजशास्त्री और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर की किताब 'द बर्निंग फ़ॉरेस्ट: इंडियाज़ वॉर इन बस्तर' का हिंदी अनुवाद हाल में आया है. क्षेत्र के हालात को लेकर विस्तृत शोध और सलवा जुडूम पर लड़ी गई कानूनी लड़ाई को लेकर उनसे बातचीत.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बिगड़ती रही. राज्य और स्थानीय स्तर पर धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा दिया गया.
मंडला ज़िले की घुघरी तहसील के ओढ़ारी गांव में नर्मदा नदी पर बसनिया बांध प्रस्तावित है. बांध के चलते मंडला और डिंडौरी ज़िले के लगभग 31 आदिवासी बाहुल्य गांव डूब क्षेत्र में आएंगे और 2,700 से अधिक परिवार विस्थापित होंगे.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र के वन संरक्षण नियम 2022 स्थानीय ग्रामसभा की शक्तियों को कमज़ोर करते हैं और वन में रहने वाले समुदायों के अधिकारों को छीनते हैं. पत्र में रेखांकित किया गया है कि नियमों ने ग़ैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि का उपयोग करने से पहले ग्रामसभा की पूर्व सहमति प्राप्त करने की अनिवार्य आवश्यकताओं को समाप्त कर दिया है.
आज़ादी के 75 साल: देश की आज़ादी के 75 साल बाद भी आदिवासी समुदाय अपने जल, जंगल, ज़मीन, भाषा-संस्कृति, पहचान पर हो रहे अतिक्रमणों के ख़िलाफ़ लगातार संघर्षरत है.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने ग्रामीणों की हत्या पर एफआईआर तब दर्ज की थी, जब उनके परिजनों ने याचिका दायर की, फिर उसने विसंगतियों से भरी जानकारियां दीं, याचिकाकर्ताओं को गवाही दर्ज होने से पहले हिरासत में लिया गया, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर विश्वास करते हुए न्याय के लिए उस तक पहुंचे लोगों को दंडित करने का फैसला दिया.
आदिवासियों ने कई दशकों तक अपने वन अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी, जिसके फलस्वरूप वन अधिकार क़ानून, 2006 आया था. अब सालों के उस संघर्ष और वनाधिकारों को केंद्र सरकार के नए वन संरक्षण नियम, 2022 एक झटके में ख़त्म कर देंगे.
महाभारत की द्रौपदी एक निष्ठावान पत्नी और बेटी थीं, लेकिन जब अन्याय का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने सभी से असुविधाजनक सवाल पूछने की हिम्मत दिखाई. उम्मीद करनी चाहिए कि आरएसएस की एक निष्ठावान बेटी होने के बावजूद द्रौपदी मुर्मू वक़्त आने पर न्याय के लिए खड़ी होंगी.