कोई भाईचारा नहीं था कभी, न कोई गंगा जमुनी तहज़ीब…

भारतीय जनतंत्र एक वादा था और हिंदू-मुसलमान भाईचारा उसकी बुनियाद. लेकिन आज मुसलमान ख़ुद को बराबरी का नागरिक नहीं मान पा रहा है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की उन्नीसवीं क़िस्त.