एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक दलों के आय-व्यय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ऑडिट दिशानिर्देश पर अमल नहीं हो रहा है.
इस साल मार्च में लोकसभा ने दलों को कॉर्पोरेट घरानों से मिलने वाले चंदे में ढील देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी थी.
एडीआर के अध्ययन के अनुसार महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में भाजपा के बाद शिवसेना और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान सत्या चुनावी ट्रस्ट की ओर से 47 करोड़ रुपये तो समाज चुनाव ट्रस्ट को 2.52 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को मिले.
जन गण मन की बात की में विनोद दुआ राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे पर एडीआर की रिपोर्ट और कार्ति चिदंबरम पर सीबीआई के शिकंजे पर चर्चा कर रहे हैं.
पार्टियों को चार साल में कॉरपोरेट से 957 करोड़ रुपये का चंदा, इसमें से सबसे ज़्यादा 705.81 करोड़ भाजपा को मिला है.
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में फिर से चुनाव लड़ रहे विभिन्न दलों के 311 विधायकों की औसत संपत्ति वर्ष 2012 में 3.49 करोड़ रुपये थी जो इस साल बढ़कर 6.33 करोड़ रुपये हो गई है.
एडीआर और महाराष्ट्र इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट में यह बात सामने आई. दोनों गैर सरकारी संगठनों ने बीएमसी चुनावों में कुल 227 में से 225 विजेता उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण किया.