मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में सेना में जाने की लम्बी परम्परा रही है. मसलन, अब तक हर भर्ती में मुरैना के काजी बसई गांव के 4-5 युवक सेना में चुने जाते थे. अग्निपथ योजना आने के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि गांव से कोई नहीं चुना गया. सेना की भर्ती पर निर्भर रहते आये ये युवक अब अनजाने काम खोज रहे हैं.
रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने संसद में पेश रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सैनिकों के परिवारों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को विभिन्न श्रेणियों में प्रत्येक में 10 लाख रुपये तक बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.