राजस्थान बजट: सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा

साल 2022-23 के लिए राजस्थान का बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि सरकारी सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को भविष्य के बारे में सुरक्षित महसूस करना चाहिए, तभी वे सेवा अवधि के दौरान सुशासन की दिशा में अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं. इसलिए एक जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का प्रस्ताव किया गया है.

कृषि बजट में ‘तकनीक आधारित मॉडल’ को बढ़ावा, किसानों की मांगों की अनदेखी

बजट में एमएसपी भुगतान के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ गेहूं व धान किसानों को निश्चित आय का आश्वासन दिया गया है, पर इसके अमल के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. किसान नेताओं ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि उनकी आय दोगुनी करने के वादे पूरे नहीं किए हैं.

किसान आंदोलन के बीच वित्त मंत्रालय ने रखा था कृषि संबंधी योजनाओं के बजट में कटौती का प्रस्ताव

एक्सक्लूसिव: जिस समय किसान आंदोलन शुरू हुआ, तब वित्त मंत्रालय ने कृषि से जुड़ी खाद्य सुरक्षा मिशन, सिंचाई, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट घटाने को कहा था. व्यय विभाग ने राज्यों को दालें वितरित करने वाली योजना को कृषि मंत्रालय के बजट में शामिल करने पर सवाल उठाए थे.

कपास पर सीमा शुल्क से किसानों को नहीं होगा कोई ख़ास लाभ: किसान कार्यकर्ता

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए कपास पर 10 फ़ीसदी सीमा शुल्क की घोषणा की. कपास किसानों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता का मानना है कि इससे किसानों को कोई विशेष लाभ होने की संभावना नहीं है.

बजट 2021: एमएसपी दिलाने वाली दो प्रमुख योजनाओं के फंड में बड़ी कटौती

कृषि क़ानूनों पर किसानों के विरोध के बीच मोदी सरकार ने बार-बार दावा किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी व्यवस्था ख़त्म नहीं होगी, पर आम बजट में इसे दिलाने वाली योजनाओं के फंड में बड़ी कटौती की गई है, जिसके चलते किसानों को उतनी एमएसपी भी नहीं मिलेगी, जितनी सरकार तय करती है.

क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम और इसके संशोधन, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं

केंद्र सरकार का दावा है कि इस क़ानून से कृषि क्षेत्र में निजी और प्रत्यक्ष निवेश में बढ़ोतरी होगी तथा कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे. वहीं विरोध कर रहे किसानों और विपक्ष का कहना है कि इससे सिर्फ़ जमाखोरों को लाभ होगा.

11 राज्यों में रजिस्ट्रेशन कराए 11.5 लाख से अधिक किसानों से दाल-तिलहन की ख़रीदी नहीं हुई

द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र की पीएसएस योजना के तहत दालें एवं तिलहन की ख़रीद के लिए 25.79 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सरकारों ने इसमें से 14.20 लाख किसानों से ही उनकी उपज की ख़रीददारी की है.

केंद्र ने लक्ष्य का सिर्फ़ 50 फ़ीसदी दाल-तिलहन ख़रीदा, नौ राज्यों में बिल्कुल भी ख़रीदी नहीं हुई

द वायर द्वारा सूचना का अधिकार क़ानून के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने रबी-2020 ख़रीद सीज़न में 20 राज्यों से कुल 58.71 लाख टन दालें और तिलहन ख़रीदने का लक्ष्य रखा था, हालांकि इसमें से सिर्फ़ 29.25 लाख टन उपज की ख़रीदी हो पाई है.

फसलों का उचित दाम दिलाने वाली योजना का बजट बढ़ाने की हुई थी मांग, वित्त मंत्रालय ने नकारा

द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कृषि मंत्रालय ने कहा था कि चूंकि पीएम-किसान योजना के तहत पूरी राशि ख़र्च नहीं हो पा रही है, इसलिए जो राशि बच गई है उसे अन्य योजनाओं के इस्तेमाल में लाया जा सकता है. हालांकि वित्त मंत्रालय ने इस मांग को ख़ारिज कर दिया था.

फसलों के उचित दाम देने वाली योजना के बजट में बड़ी कटौती, 2019-20 के लिए भी फंड घटा

मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने के लिए पिछले कुछ सालों में कई कृषि योजनाओं को लॉन्च किया था. हालांकि इनके लागू होने की खराब स्थिति के चलते सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन योजनाओं के आवंटित बजट में बड़ी कटौती की है.

क्या किसानों को इस बजट से छलावे के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ?

साल 2019-20 का कृषि बजट करीब एक लाख 30 हज़ार करोड़ रुपये है, जो कुल बजट का केवल 4.6 फीसदी है. इसमें से 75,000 करोड़ रुपये पीएम-किसान योजना के लिए आवंटित किए गए हैं. इस तरह अन्य कृषि योजनाओं के लिए सिर्फ 55,000 करोड़ रुपये ही बचते हैं.