कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि और किसान कल्याण विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2022-मार्च 2023) के दौरान अपने 1.24 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक आवंटन में से 21,005.13 करोड़ रुपये वापस किए हैं. इसी मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग ने भी साल दर साल आवंटित राशि वापस लौटा दी है.
केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 के खरीफ़ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा के बाद कांग्रेस ने दावा किया कि किसानों को सम्मानजनक रूप से जो मिलना चाहिए, उससे एमएसपी न केवल बहुत कम है, बल्कि सरकार ने इस मामूली कीमत पर भी बहुत सीमित ख़रीददारी की है.
लोकसभा में पेश कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय द्वारा वापस की गई धनराशि मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए ‘कम आवश्यकता’ के कारण है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि गुजरात के किसानों की तुलना में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के किसान बेहतर स्थिति में हैं. गुजरात के प्रत्येक किसान परिवार पर 56,568 रुपये का क़र्ज़ है, जबकि बिहार के एक किसान परिवार पर 23,534 रुपये का क़र्ज़ है.
सरकार ने इस साल एक जून से चीनी के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी, जो 31 अक्टूबर को ही ख़त्म होने वाली थी. हालांकि, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने बताया कि इसे अब अक्टूबर 2023 तक बढ़ा दिया गया है.
इससे पहले मई महीने में सरकार ने घरेलू स्तर पर बढ़ते दामों पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. एक सरकारी बयान के अनुसार, इस निर्णय के बाद गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया है.
वीडियो: भारत द्वारा कीमतों को नियंत्रण में रखने के प्रयास में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतें 14 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गईं. सरकार ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान के मद्देनज़र निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है.
सरकार ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान के मद्देनज़र निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है. दोनों देश गेहूं के प्रमुख निर्यातक रहे हैं. कांग्रेस ने इस क़दम को ‘किसान विरोधी’ क़रार देते हुए कहा कि सरकार ने गेहूं की पर्याप्त खरीद नहीं की जिसके कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई.
केंद्र सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 प्रतिशत घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है. पहले गेहूं उत्पादन 11 करोड़ 13.2 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था. अनुमान में गिरावट का कारण गर्मी की जल्द शुरुआत होने की वजह से फसल उत्पादकता प्रभावित होना है.
लोकसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि केंद्र नहीं बल्कि राज्य अपने संसाधनों से अपनी स्वयं की आवश्यकता के अनुसार कृषि ऋण माफ़ी योजनाओं की घोषणा करते हैं.
कृषि मंत्रालय ने 20 नवंबर को संसदीय समिति को दी गई वह रिपोर्ट वापस ले ली, जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी के चलते किसान खाद और बीज नहीं खरीद सके थे. समिति को दी गई नई रिपोर्ट में मंत्रालय ने कहा है कि नोटबंदी का कृषि क्षेत्र पर अच्छा असर पड़ा.
कृषि मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी की वजह से किसानों को खाद और बीज खरीदने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा था.
विशेष रिपोर्ट: आरटीआई के जरिए यह सामने आया है कि साल 2016 में 615 खातों को औसतन 95 करोड़ से ज़्यादा का कृषि लोन दिया गया है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सस्ते दर और आसान नियमों के तहत किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारी भरकम लोन दिया जा रहा है.
खेती-किसानी पर कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.
बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की ओर से किए गए प्रावधानों पर कृषि विशेषज्ञों को संदेह है. उनके अनुसार, न्यूनतम समर्थन मूल्य में इज़ाफ़ा काफ़ी नहीं, यह भी देखा जाना ज़रूरी है कि बहुत थोड़े किसानों की पहुंच एमएसपी तक है.