पहले कपास, फिर बीटी कॉटन: ओडिशा के आदिवासी किसान की स्याह दास्तान

ओडिशा के आदिवासी इलाकों में कपास और उसके बाद हुई बीटी कॉटन की खेती ने बेहिसाब त्रासदी को जन्म दिया है. इसने जमीन को किसी अन्य फसल के लायक नहीं छोड़ा, और छिड़के गए कीटनाशकों ने स्थानीय लोगों के बीच कैंसर को जन्म दे दिया. युवा शोधार्थी शुभम सिंह की ज़मीनी रिपोर्ट जो संस्मरण और पत्रकारिता की संधि पर दर्ज होती है.

हरियाणा की 36 बिरादरी का भाईचारा इस बार क्या बदलाव लेकर आएगा

हरियाणा चुनाव में 36 बिरादरियों के भाईचारे का नारा सामाजिक बदलाव का संकेत दे रहा है, लेकिन आने वाला समय ही बताएगा कि चुनाव के बाद की राजनीति में यह परिवर्तन कितना फलीभूत होगा.

केंद्र ने पराली जलाने पर प्रतिबंध लागू किया, जबकि एमएसपी पर लंबे समय से गतिरोध जारी

केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की सरकारों को निर्देश दिया है कि वे पराली जलाने वाले किसानों की पहचान करें. केंद्र की योजना पराली जलाने वाले किसानों को एमएसपी के लाभ से वंचित करने की है.

महाराष्ट्र: ‘2014 से पहले अच्छे दिन थे, मोदी सरकार पूंजीपतियों और व्यापारियों की सरकार है’

वीडियो: महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में अमरावती लोकसभा सीट पर किसान मोदी सरकार से नाराज़ हैं. उनका कहना है कि उन्हें बीते दस सालों से अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिला. अमरावती के आसपास के ज़िलों में सोयाबीन, रुई, बाजरा, चना, गेहूं का उत्पादन होता है. किसानों की आत्महत्या भी यहां एक बड़ा मुद्दा है. इनके बारे में वहां के किसानों से बातचीत. 

अधूरे वादों को लेकर किसान समूहों ने मोदी सरकार को घेरा, 3 केंद्रीय मंत्री मिलने पहुंचे

किसान मज़दूर संघर्ष समिति के बैनर तले 200 किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा के एक गुट ने 13 फरवरी को एमएसपी क़ानून और कृषि ऋण माफ़ी समेत विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का आह्वान किया है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, नित्यानंद राय और पीयूष गोयल किसान प्रतिनिधियों से मिलने पहुंचे थे.

कृषि मंत्रालय ने पिछले 5 साल में आवंटित बजट से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि लौटाई

कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि और किसान कल्याण विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2022-मार्च 2023) के दौरान अपने 1.24 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक आवंटन में से 21,005.13 करोड़ रुपये वापस किए हैं. इसी मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग ने भी साल दर साल आवंटित राशि वापस लौटा दी है.

ये व्यापारियों की सरकार है, वोट के लिए इसने देश को जाति-धर्म में बांट दिया: राकेश टिकैत

वीडियो: किसान नेता राकेश टिकैत ने द वायर से एक इंटरव्यू के दौरान पिछले 10 वर्षों की कृषि नीतियों और भारतीय किसानों की वर्तमान स्थिति, चीनी निर्यात पर प्रतिबंध और नए कॉरपोरेट ख़तरों को लेकर बातचीत की.

अन्य फसलों की तुलना में दालों की पैदावार लाभ दिखाने में विफल क्यों रही है

भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और आयातक भी. भारत बड़ी मात्रा में दालों और खाद्य तेलों का आयात करता है, जिनका घरेलू स्तर पर आसानी से उत्पादन किया जा सकता है. कम घरेलू उत्पादन के कारण दालों की आयात मात्रा 9.44 प्रतिशत बढ़कर फसल वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 27 लाख टन हो गई, जो 2020-21 में 24.66 लाख टन थी.

वर्तमान आर्थिक नीतियों ने किसानों को बेहाल किया है: कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा

वीडियो: कृषि की बात कार्यक्रम के इस एपिसोड में कृषि और खाद्य नीति विशेषज्ञ देविंदर शर्मा रबी की फसल और विभिन्न फसलों की गिरती कीमतों की जानकारी दे रहे हैं. इस सीज़न में कई फसलों की पैदावार औसत से अधिक हुई है और इससे इनकी कीमतों में गिरावट आई है.

कृषि मंत्रालय तीन साल में बजट में आवंटित 44,000 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं कर सका: रिपोर्ट

लोकसभा में पेश कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय द्वारा वापस की गई धनराशि मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए ‘कम आवश्यकता’ के कारण है.

खेती के लिए गोबर आधारित उत्पादों के विपणन में केंद्र गोशालाओं की मदद करे: नीति आयोग

नीति आयोग की एक रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि केंद्र गोशालाओं को पूंजी सहायता के माध्यम से मदद करे, ताकि वे कृषि में अनुप्रयोगों के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र-आधारित फॉर्मूलों का विपणन कर सकें.

महाराष्ट्र: 1 रुपये किलो बिका प्याज़, किसानों ने जलाए अपने खेत

वीडियो: महाराष्ट्र का प्याज़ उत्पादक किसान किस हाल से गुज़र रहा है और किस तरह उनकी समस्याएं सरकारी अनदेखी का शिकार हैं, बता रहे हैं अतुल होवाले.

गुजरात ‘मॉडल’ का सच: राज्य में किसानों पर बिहार के मुक़ाबले दोगुना क़र्ज़

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि गुजरात के किसानों की तुलना में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के किसान बेहतर स्थिति में हैं. गुजरात के प्रत्येक किसान परिवार पर 56,568 रुपये का क़र्ज़ है, जबकि बिहार के एक किसान परिवार पर 23,534 रुपये का क़र्ज़ है.

जीएम सरसों के मूल्यांकन की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ: ग़ैर-सरकारी संगठन

ग़ैर-सरकारी संगठनों के एक समूह ने आरोप लगाया कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए जीएम सरसों का परीक्षण देश की नियामक व्यवस्था में निर्धारित सीमित दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है. सरकार ने परीक्षण के दौरान नियमों के उल्लंघन के दावे का खंडन किया है.

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