पर्यावरण में हो रहे बदलाव को किस तरह से झेल रहे हैं हिमाचल प्रदेश के किसान?

वीडियो: कृषि पर जलवायु परिवर्तन का बुरा प्रभाव पड़ रहा है. पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है. प्रदेश के लाहौल क्षेत्र में किसानों से जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी के अलावा, बदलते कृषि पैटर्न आदि पर द वायर के इंद्र शेखर सिंह ने चर्चा की.

सरकार ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन का अनुमान घटाकर 10.5 करोड़ टन किया

केंद्र सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 प्रतिशत घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है. पहले गेहूं उत्पादन 11 करोड़ 13.2 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था. अनुमान में गिरावट का कारण गर्मी की जल्द शुरुआत होने की वजह से फसल उत्पादकता प्रभावित होना है.

यूपी: ग़ुलामी, उत्पीड़न, बेदख़ली से लड़ते हुए वनटांगियों का संघर्ष आज भी जारी है

गोरखपुर और महराजगंज के जंगल में स्थित 23 वन ग्रामों के वनटांगियों को वन अधिकार क़ानून लागू होने के डेढ़ दशक और कड़े संघर्ष के बाद ज़मीन पर अधिकार मिला. लेकिन आज भी यहां विकास की रफ़्तार धीमी ही है.

यूपी: भाजपा को वोट दे चुके कोरांव के इस यादव-बहुल गांव को अब सपा से उम्मीद है

ग्राउंड रिपोर्ट: इलाहाबाद की कोरांव विधानसभा में आने वाले सलैया कलां गांव में मेजा ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड का थर्मल प्लांट बनाने के लिए विस्थापित किए गए लोगों को बसाया गया था. बिजली, पानी और साफ़-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे इस गांव के रहवासियों का कहना है कि भाजपा ने उन्हें निराश किया है और अब वे सपा से उनकी समस्याएं दूर करने की आशा कर रहे हैं.

सरकार विधानसभा चुनावों के बाद एमएसपी समिति गठित करने के लिए प्रतिबद्ध: कृषि मंत्री

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के इस बयान पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का यह नया पैंतरा है. पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि अपशब्द कहे, अपमानित किया, लाठियां बरसाईं, कीलें बिछवाईं, सड़कें खुदवाईं, किसान नहीं झुके तो साजिशें कीं! फिर थक हारकर ‘काले क़ानून’ वापस लिए. चुनाव हारने का डर है, तो अब एक और पैंतरा?

अगर किसानों की आय दुगनी हो गई है तो वे हर दिन आत्महत्या क्यों कर रहे हैं: बीजद सांसद

बीजू जनता दल के राज्यसभा सदस्य प्रसन्न आचार्य ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2019 में देश में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मज़दूरों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत अधिक मामले थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की मांग के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए क़ानून बनाने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.

किसानों के हितों और 2022 तक उनकी आय दोगुनी करने के बारे में बजट मौन: देवेंद्र शर्मा

कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि पिछले लगभग पांच सालों से किसानों की आय दोगुनी करने की बात जोर-शोर से कही जाती रही है कि वर्ष 2022 तक इस ​मंज़िल को हासिल करने की सरकार की योजना है, लेकिन बजट में इस बहुप्रचारित ‘दावे’ पर चुप्पी साध ली गई है. उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो नरेगा सहित तमाम मदों में कमी ही की गई है और कृषि प्रणाली में जान फूंकने जैसा कोई प्रयास नहीं दिखता है.

कृषि बजट में ‘तकनीक आधारित मॉडल’ को बढ़ावा, किसानों की मांगों की अनदेखी

बजट में एमएसपी भुगतान के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ गेहूं व धान किसानों को निश्चित आय का आश्वासन दिया गया है, पर इसके अमल के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. किसान नेताओं ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि उनकी आय दोगुनी करने के वादे पूरे नहीं किए हैं.

किसानों ने ठान लिया है कि भाजपा को हराना है: जयंत चौधरी

वीडियो: राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में रोज़गार मांगने पर युवाओं को पीटा गया. दिल्ली की गाज़ीपुर सीमा पर किसानों का अपमान किया गया. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जयंत चौधरी से द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

अरविंद केजरीवाल से मुआवज़े की गुहार लगा रहे हैं दिल्ली के किसान

वीडियो: बीते साल 20 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के किसानों से वादा किया था कि उनकी खेती की ज़मीन अगर बर्बाद हो जाती है तो वह उन्हें 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवज़ा देंगे. महीनों बाद भी इस रिपोर्ट के प्रकाशन तक किसानों को मुआवज़ा नहीं मिला है.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कॉन्फ्रेंस के लक्ष्य कृषि में सुधार के बिना संभव नहीं

वीडियो: बीते नवंबर महीने में स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कॉन्फ्रेंस जिसे ‘सीओपी26’ (COP26) भी कहा जाता है, को लेकर दो पर्यावरणविदों- वंदना शिवा और श्याम शरण (पूर्व विदेश सचिव और भारतीय सीओपी वार्ताकार) से द वायर के इंद्र शेखर सिंह से बातचीत.

मध्य प्रदेश: भिंड-मुरैना के किसानों के लिए डीएपी खाद पाना चुनौती क्यों बन गया है

मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सरसों उत्पादन भिंड और मुरैना ज़िलों में होता है. अक्टूबर में रबी सीज़न आते ही सरसों की बुवाई शुरू हो चुकी है, जिसके लिए किसानों को बड़े पैमाने पर डीएपी खाद की ज़रूरत है. लेकिन सरकारी मंडियों से लेकर, सहकारी समितियों और निजी विक्रेताओं के यहां बार-बार चक्कर काटने के बावजूद भी किसानों को खाद नहीं मिल रही है.

पानी की कमी जारी रहने पर भारत जलवायु शरणार्थी संकट का कर सकता है सामना: ‘वॉटरमैन’ राजेंद्र सिंह

भारत के वॉटरमैन नाम से मशहूर जल संरक्षणवादी राजेंद्र सिंह ने कहा कि यूरोप कई अफ्रीकी देशों से आ रहे जलवायु शरणार्थियों का सामना कर रहा है. सौभाग्य से भारतीयों को अभी जलवायु शरणार्थी नहीं कहा जाता है, लेकिन अगले सात साल में अगर देश में जल की कमी बनी रही तो भारतीयों को भी उसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा.

क्या श्रमिकों का फैक्ट्रियों से खेतों में बड़ी संख्या में पलायन ‘विकास’ की गाड़ी का उल्टी दिशा में जाना है

सतत आर्थिक विकास के किसी भी दौर के साथ-साथ ग़रीबी में कमी आती है और श्रमबल कृषि से उद्योगों और सेवा क्षेत्रों की तरफ गतिशील होता है. हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि देश में एक साल में क़रीब 1.3 करोड़ श्रमिक ऐसे क्षेत्रों से निकलकर खेती से जुड़े हैं. वैश्विक महामारी एक कारण हो सकता है, लेकिन मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों ने इसकी ज़मीन पहले ही तैयार कर दी थी.

क्या हमारे खेतों और खाद्य पदार्थों में विषाक्त पदार्थ हैं?

वीडियो: हमारे खेत, किसान, बीज उद्योग और खाना पकाने का तेल खतरे में हैं. कृषि की बात की इस कड़ी में इंद्र शेखर सिंह खेत और खाद्य पदार्थों में विषाक्तता की जानकारी दे रहे हैं.

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