अमर्त्य सेन कह चुके हैं कि भारतीय मीडिया तेज़ी से अमीरों का पक्षधर होता जा रहा है, बीते महीने हुए किसान आंदोलन की हिंदी अख़बारों में कवरेज सेन के कथन की पुष्टि करती है. आंदोलन के दौरान अख़बारों की चिंता किसानों की समस्याएं, उनकी दयनीय हालत और हालत के लिए ज़िम्मेदार लोगों के बजाय आंदोलन के चलते उत्पादों की बढ़ी कीमतें और इससे शहरों में हुई परेशानी रही.
इतिहास यही रहा है कि सरकारें जब भी चीनी उद्योग के लिए राहत पैकेज जारी करती हैं तो उसमें किसानों के हित गौण हो जाते हैं और लाभ मिलों को पहुंचता है.
केदारनाथ अग्रवाल का सौंदर्यबोध खेतों की धूल में गुंथकर बना है और इस तरह के सौंदर्यबोध के वह हिंदी के इकलौते कवि हैं.
सूत्रों के मुताबिक, खाद्य मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक बनाने का प्रस्ताव दिया है. चीनी स्टॉक को बनाए रखने की लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी.
कैराना उपचुनाव, मुज़फ़्फ़रनगर दंगों और किसान राजनीति पर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी से कबीर अग्रवाल की बातचीत.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार में किसान आत्महत्या की घटनाएं कम होने का मतलब यह कतई नहीं कि यहां के किसान खेती कर मालामाल हो रहे हैं. कृषि संकट के मामले में बिहार की तस्वीर भी दूसरे राज्यों की तरह भयावह है.
भारतीय चीनी मिल संघ ने कहा कि वे समय पर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करने में असमर्थ हैं.
खेती-किसानी पर कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.
बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की ओर से किए गए प्रावधानों पर कृषि विशेषज्ञों को संदेह है. उनके अनुसार, न्यूनतम समर्थन मूल्य में इज़ाफ़ा काफ़ी नहीं, यह भी देखा जाना ज़रूरी है कि बहुत थोड़े किसानों की पहुंच एमएसपी तक है.
वीडियो: इस साल के बजट में कृषि और किसानों को लेकर की गई घोषणाओं पर कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.
जन गण मन की बात की 191वीं कड़ी में विनोद दुआ बजट में कृषि क्षेत्र को लेकर हुई घोषणाओं और देश में वीआईपी संस्कृति के चलन पर चर्चा कर रहे हैं.
सीताराम येचुरी ने कहा, कृषि विकास दर 4.5 प्रतिशत से घटकर 2.1 प्रतिशत हुई, किसान आत्महत्याएं ख़तरनाक स्तर पर पहुंचीं, क़र्ज़माफ़ी सिर्फ़ बड़े कॉरपोरेट डिफॉल्टर्स के लिए.
विशेष साक्षात्कार: पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा से मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, कृषि संकट और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.
देश भर के किसान एकजुट होकर लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर पूरे देश में किसान आत्महत्याएं भी जारी हैं. महाराष्ट्र में क़र्ज़ माफ़ी के बाद 5 महीने में 1,020 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
किसान संसद ने कहा, देश भर के 184 किसान संगठन बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य के एक भी बोरा अनाज बिकने नहीं देंगे.