गुजरात के बोटाद ज़िले में कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से बीमार करीब 97 लोग अब भी विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं. मामले में पुलिस ने 15 आरोपियों को गिरफ़्तार किया है. राज्य में शराब की बिक्री पर पाबंदी है.
गुजरात में शराब की बिक्री पर पाबंदी है. पुलिस ने बताया कि मृतकों में से 22 बोटाद ज़िले के विभिन्न गांवों के थे, जबकि छह लोग पड़ोसी अहमदाबाद ज़िले के थे. 45 से अधिक लोग वर्तमान में भावनगर, बोटाद और अहमदाबाद के अस्पतालों में भर्ती हैं.
अक्सर गिरफ़्तारी हो या ज़मानत, पुलिस और अदालत सत्ता से सहमति रखने वालों के मामले में 'बेल नियम है, जेल अपवाद' का सिद्धांत का हवाला देते दिखते हैं पर मुसलमानों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं या पत्रकारों का नाम आते ही इस नियम को उलट दिया जाता है.
फिल्मकार अविनाश दास अपने सोशल मीडिया एकाउंट से दो तस्वीरें साझा की थीं. इनमें से एक तस्वीर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ झारखंड की गिरफ़्तार आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की थी, जबकि दूसरी तस्वीर में एक महिला नज़र आ रही थी, जिसके शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज चित्रित किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को एसआईटी द्वारा क्लीनचिट दिए जाने को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका बीते 24 जून को ख़ारिज कर दी थी. पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में कहा है कि इस निर्णय का सबसे ख़तरनाक हिस्सा यह है कि अदालत एक सिद्धांत के साथ सामने आई है, जो राज्य को उन व्यक्तियों को गिरफ़्तार कर मुक़दमा चलाने का आदेश देता है, जो जांच एजेंसियों
सरकार के कारिंदे आधी शती पहले की इमरजेंसी की ज़्यादतियों को कोसते हैं, पर देशवासी बिना किसी एलानिया इमरजेंसी के तबसे बदतर हालात में जी रहे हैं.
कांग्रेस ने ज़किया जाफ़री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को निराशाजनक क़रार देते हुए सवाल किया कि क्या व्यापक सांप्रदायिक दंगों के मामलों में सिर्फ कलेक्टर और पुलिस उपाधीक्षक की ज़िम्मेदारी होती है, राजनीतिक पदों पर आसीन लोगों की नहीं? अगर राज्य हिंसा और दंगों की चपेट में आता है तो क्या मुख्यमंत्री, कैबिनेट और राज्य सरकार कभी जवाबदेह नहीं होंगी?
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज की गई थी.
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ बीते 25 जून को एक एफ़आईआर दर्ज की थी. इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी को गुमराह करने की साज़िश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.
वीडियो: साल 2002 में गुजरात की मुस्लिम विरोधी हिंसा में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने के निचली अदालत के फैसले का बरक़रार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़किया जाफ़री की याचिका ख़ारिज किए जाने के एक दिन से भी कम समय में राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने याचिकाकर्ताओं में से एक तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ़्तार कर लिया है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी से द वायर की सीनियर एडिटर
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ने गुजरात दंगों में गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री की क़ानूनी लड़ाई के दौरान उनका समर्थन किया था. अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज मामले में तीस्ता के अलावा आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार को भी आरोपी बनाया गया है.
गुजरात दंगों के दौरान ज़किया जाफ़री के पति कांग्रेस सांसद रहे एहसान जाफ़री अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को दंगों से संबंधित मामलों में दी गई क्लीनचिट के फैसले को चुनौती देने वाली ज़किया की अपील को बीते शुक्रवार को ख़ारिज कर दिया था.
ज़किया जाफ़री के पति कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. 2017 में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को दंगों से संबंधित मामलों में क्लीनचिट दे दी गई थी, को बरक़रार रखा था.
सेवा अनुबंध के नियमों के अनुसार, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों को अपना स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करनी होती है. यदि कोई छात्र प्रवेश लेते समय हस्ताक्षरित अनुबंध को तोड़ना चाहता है, तो उसे 40 लाख रुपये का भुगतान करना होगा.
गुजरात के अहमदाबाद शहर के खडिया इलाके में भाजपा कार्यकर्ता राकेश मेहता को एक कुख्यात अपराधी ने कथित रूप से डंडों और बेसबॉल बैट से बुरी तरह पीटा था. पुलिस ने बताया कि आरोपी की उसके रिश्तेदार से पुरानी रंज़िश थी और वह (रिश्तेदार) मृतक का क़रीबी दोस्त था. उसकी हत्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा नहीं है.