एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि निजी एयरलाइंस अपनी वेबसाइट पर फ्लाइट में बची सीटों की संख्या और टिकटों की क़ीमतों के बारे में 'ग़लत जानकारी' देती हैं और यात्रियों को ज़्यादा भुगतान के लिए मजबूर करती हैं. समिति ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इस बारे में दिशानिर्देश तैयार करने को कहा है.
पायलटों का कहना है कि लंबे समय से प्रबंधन द्वारा उनकी वेतन बढ़ाने और पदोन्नति की मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, साथ ही कंपनी उन्हें इस बारे में भरोसा दिलाने में भी असमर्थ रही है.
बताया जा रहा है कि सरकार क़र्ज़ के बोझ से दबी सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश की तैयारी कर रही है, जिसके मद्देनजर यह कदम उठाया गया है.
आर्थिक संकट से जूझ रही एयर इंडिया के कर्मचारियों एवं अधिकारियों की दर्जन भर से अधिक यूनियनों का कहना है कि निजीकरण समस्या का समाधान नहीं है.
आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया पर यह बकाया वीवीआईपी चार्टर उड़ानों का है, जिसमें सर्वाधिक 543.18 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय का है.
2017 तक एयर इंडिया पर कुल 48,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ का बोझ था. एयर इंडिया की कर्मचारी यूनियनों ने एयरलाइन के रणनीतिक विनिवेश के लिए कोई बोली नहीं मिलने को अपनी जीत बताया है.
भाजपा नेता सुब्रमनियन स्वामी ने कहा कि एयर इंडिया का विनिवेश 2019 के चुनाव तक टाला जाए. साथ ही उन्होंने नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को हटाने की भी मांग की.