द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
पर्यावरण क्षरण और जलवायु आपदाओं को ग्लोबल कहने से यह राय बनती है कि वे सभी को समान रूप से प्रभावित करती हैं, पर सच्चाई ये है कि जलवायु आपदाओं का सार्वभौमिक चरित्र है कि वे उसके दोषी पक्ष को अक्सर कम तथा निर्दोष सामान्यजन को अधिक प्रभावित करती हैं.
दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान खंडपीठ के दो जज एक-दूसरे से भिन्न मत रखते हुए देखे गए, जहां जस्टिस सुधांशु धूलिया ने किसानों का पक्ष लेते हुए कहा कि उसे भी सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए, वहीं जस्टिस संजय किशन कौल ने किसानों के ख़िलाफ़ सख़्ती बरते जाने की बात कही.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पंजाब पुलिस ने बीते 8 नवंबर से पराली जलाने पर किसानों के ख़िलाफ़ 932 एफआईआर दर्ज की हैं, जबकि 7,405 मामलों में 1.67 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. पराली जलाने पर 340 किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है. पुलिस ने किसानों से सहयोग करने और पराली न जलाने का आह्वान किया है.
वीडियो: दिल्ली-एनसीआर में घटती वायु गुणवत्ता और बढ़ते प्रदूषण के बीच अक्सर पड़ोसी राज्यों के किसानों और पराली जलाने को इस समस्या का ज़िम्मेदार ठहराया जाया है, लेकिन क्या यह पूरा सच है? क्या है इसका समाधान? बता रहे हैं इंद्र शेखर सिंह.
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बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने वाली माताओं के एक समूह ‘वारियर मॉम्स’ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि अभी औसतन 1,000 रुपये से ऊपर चल रहे सिलेंडर को ख़रीदने में असमर्थ वंचित परिवार ईंधन के लिए लकड़ी या कंडे जलाने पर निर्भर हैं, जिससे गर्भ में ही बच्चे की मौत होने, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, शारीरिक विकास में बाधा जैसी समस्याएं आ रही हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नवंबर के आखिरी दिनों की रिपोर्ट में बिहार के मोतिहारी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 402 था. यह स्थिति लगभग महीने भर से बनी हुई है. ऐसे शहर में, जहां उद्योग के नाम पर किसी ज़माने में रही चीनी मिल के भग्नावशेष ही दिखते हैं, प्रदूषण का यह स्तर गंभीर सवाल खड़े करता है.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में लोगों को प्रदूषण के ख़तरे से बचाने के लिए पिछले साल की तरह ही इस बार भी सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जा रहा है. पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर भी यह प्रतिबंध लागू होगा.
ग्रीनपीस इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रदूषण के सबसे अधिक जोख़िम वाला क्षेत्र दिल्ली-एनसीआर है. आगे कहा गया है कि देश में 62 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में रहती हैं, जबकि पूरी आबादी के लिहाज़ से यह आंकड़ा 56 प्रतिशत का है. सरकार को देश भर में एक मज़बूत वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली पेश करनी चाहिए.
‘द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में साल 2019 में भारत में सभी प्रकार के प्रदूषण के कारण 23.5 लाख से अधिक मौतें समय से पहले हुई हैं, जिसमें वायु प्रदूषण के कारण 16.7 लाख मौतें शामिल हैं. वैश्विक स्तर पर हर साल होने वाली 90 लाख मौतों के लिए सभी प्रकार का प्रदूषण ज़िम्मेदार है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया के 99 फीसदी लोग प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं. इस ख़राब गुणवत्ता की हवा की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक़, पृथ्वी का लगभग हर कोना वायु प्रदूषण से जूझ रहा है, कुछ देशों में यह समस्या बदतर है.
केंद्र के राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम की एक विश्लेषण रिपोर्ट अनुसार, पिछले तीन सालों के दौरान देशभर में उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद की वायु गुणवत्ता ख़राब आबोहवा की श्रेणी में रखे जाने वाले 132 शहरों में सबसे ख़राब रही. वहीं, दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा.
उत्तर भारत के 56 शहरों में 137 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर भारत में ग़ाज़ियाबाद सबसे प्रदूषित शहर है और इसका पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर दिल्ली से भी ख़राब स्थिति में है. अधिकांश छोटे शहरों में वार्षिक औसत पीएम 2.5 का स्तर काफी कम है, लेकिन शुरुआती सर्दियों के दौरान जब पूरा क्षेत्र स्मॉग की चपेट में आ जाता है, तो छोटे शहरों की रिपोर्ट दिल्ली के बराबर होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में लगातार बिगड़ रही वायु गुणवत्ता को लेकर स्कूलों को बंद करने के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए शुक्रवार को कहा कि स्कूलों को बंद करने का फैसला उनका नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का था. अदालत ने कहा कि जान-बूझकर या अनजाने में एक संदेश भेजा जा रहा है कि अदालत खलनायक है और वह स्कूल बंद करने का आदेश दे रही है.