केंद्र ने ईपीएफओ बोर्ड का पुनर्गठन किया; एटक-इंटक के प्रतिनिधियों को जगह नहीं मिली

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड में ट्रेड यूनियनों के 10 प्रतिनिधि होते हैं. केंद्र सरकार द्वारा पुनर्गठित नए बोर्ड में 8 प्रतिनिधि घोषित किए गए हैं, जिनमें आरएसएस से संबद्ध भारतीय मज़दूर संघ के तीन सदस्य शामिल हैं. इसमें सीपीआई से संबद्ध एटक, एआईयूटीयूसी और कांग्रेस से संबद्ध इंटक का कोई सदस्य शामिल नहीं किया गया है.

केंद्र के सरकारी कर्मियों को विरोध प्रदर्शन से रोकने वाले निर्देश की आलोचना में ट्रेड यूनियन

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा हाल ही में जारी एक सर्कुलर में केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों को निर्देश दिया गया है कि विरोध प्रदर्शन समेत किसी भी रूप में हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के ख़िलाफ़ वेतन में कटौती के अलावा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

रक्षा कर्मचारियों के संघों का प्रदर्शन, एनपीएस ख़त्म कर पुरानी पेंशन योजना शुरू करने की मांग

रक्षा क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न यूनियनों के एक संयुक्त संगठन एआईडीईएफ के बैनर तले करीब 3,000 असैन्य रक्षाकर्मियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की और कहा कि उन्हें राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत बहुत ही कम पेंशन मिल रही है.

केंद्र की नीतियों के विरोध में श्रमिक संगठन दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे, बैंकों एवं परिवहन पर असर

देश भर के केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने इस देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. यह हड़ताल कर्मचारियों, किसानों एवं आम आदमी के ख़िलाफ़ सरकार की कथित ग़लत नीतियों के विरोध में बुलाई गई है. केरल सरकार के आदेश के बावजूद राज्य के सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति कम रही. सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की योजना को रोकने की मांग कर रहे बैंकिंग कर्मचारी संगठनों ने भी इसमें भाग लिया. हड़ताल से सरकारी उपक्रमों- सेल, आरआईएनएल और एनएमडीसी संयंत्रों

सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों का निजीकरण देश के लोगों के हित में नहीं: एटक

बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार के पास कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है या वे बेकार पड़ी हुई हैं, ऐसी 100 परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण कर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे. उन्होंने कहा था कि उपक्रमों और कंपनियों को समर्थन देना सरकार का कर्तव्य है. लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सरकार इनका स्वामित्व अपने पास रखे.

ममता ने लेफ्ट, कांग्रेस पर लगाया दोहरा रवैया अपनाने का आरोप, विपक्ष की बैठक का करेंगी बहिष्कार

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को नई दिल्ली में बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि मैं बुधवार को पश्चिम बंगाल में वामपंथी और कांग्रेस की हिंसा का समर्थन नहीं करती.

ट्रेड यूनियनों की हड़ताल: देश भर में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित, पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर झड़प

केंद्र की आर्थिक नीतियों को मज़दूर और जन विरोधी बताते हुए दस मज़दूर संगठनों एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया था. सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई के ख़िलाफ़ मज़दूर संगठनों ने प्रदर्शन किया.

भारत बंद: केंद्र ने कर्मचारियों को जारी किया सर्कुलर, कहा- धरने में शामिल होने पर होगी कार्रवाई

केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा, 'अगर कोई किसी भी तरह के धरने में शामिल होता है तो सैलरी काटने के अलावा उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.'

8 जनवरी को ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा

फीस बढ़ोतरी और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने के लिए छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित इस हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. ट्रेड यूनियनों ने जेएनयू में हिंसा तथा अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में इसी तरह की घटनाओं की आलोचना की है.

वरिष्ठ भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता का निधन

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद गुरुदास दासगुप्ता पिछले कुछ महीने से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे. कोलकाता स्थित अपने निवास पर सुबह छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.

मोदी सरकार की ‘मज़दूर विरोधी’ नीतियों के ख़िलाफ़ ट्रेड यूनियनों की दो दिनी हड़ताल शुरू

10 केंद्रीय श्रम संघों के आह्वान पर बुलाई गई इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 20 करोड़ मज़दूरों के शामिल होने की संभावना. हड़ताली यूनियनों का कहना है कि सरकार ने श्रमिकों के मुद्दों पर उसकी 12 सूत्रीय मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. सितंबर 2015 के बाद केंद्र सरकार ने यूनियनों से एक बार भी बात नहीं की.

मालिकों के हित में श्रम कानून बदलना चाहती है केंद्र सरकार: मज़दूर संगठन

संगठनों का कहना है कि प्रस्तावित इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड के ज़रिये सरकार मज़दूरों के हड़ताल और विरोध करने के बुनियादी अधिकारों को छीनना चाहती है.