बीते सितंबर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव इलाहाबाद के बाघंबरी मठ में मिला था. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि वे अपने शिष्य आनंद गिरि, पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी, उनके बेटे संदीप की वजह से ‘भारी मानसिक तनाव’ में थे, जिसके कारण उन्होंने यह क़दम उठाया.
वीडियो: इलाहाबाद में महंत नरेंद्र गिरि के निधन के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत काफी गर्म हो गई है. कोई इसे आत्महत्या बता रहा है तो कोई हत्या, लेकिन इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि की मौत को आत्महत्या क्यों बताया? उन्होंने इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई? वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि बीते 20 सितंबर को इलाहाबाद स्थित अपने मठ के एक कमरे में मृत पाए गए थे. इस मामले में पुलिस ने अब तक तीन लोगों- आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को गिरफ़्तार किया है. आनंद गिरि, महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य हैं, जबकि आद्या प्रसाद तिवारी बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी हैं.
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित बाघंबरी मठ में सोमवार शाम महंत नरेंद्र गिरि का शव पंखे से लटका हुआ मिला. पुलिस को मौके से सात पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें महंत ने अपने शिष्य आनंद गिरि के अलावा दो अन्य लोगों को अपनी मौत के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस ने सवाल उठाया कि महंत ने आत्महत्या की या उनकी सुनियोजित हत्या हुई है, वहीं आम आदमी पार्टी ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.