मणिपुर: 30 साल बाद शराब पर लगाई गई रोक आंशिक रूप से हटाई गई

वर्ष 1991 में शराब निषेध अधिनियम पारित होने के बाद से मणिपुर आधिकारिक तौर पर एक 'ड्राई स्टेट' था, जहां सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति के समुदायों को पारंपरिक कारणों से शराब बनाने की छूट दी गई थी. अब ग्रेटर इंफाल, ज़िला मुख्यालयों, पर्यटन स्थलों और कम से कम 20 बेड वाले पंजीकृत होटल प्रतिष्ठानों में शराब बेची और पी जा सकती है.

अपराध रोकने के लिए शराब के विकल्प के तौर पर गांजा-भांग के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए: भाजपा विधायक

छत्तीसगढ़ के मस्तूरी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कृष्णमूर्ति बांधी ने दावा किया कि भांग और गांजा का नशा करने वाले व्यक्ति बलात्कार, हत्या और डकैती जैसे अपराध नहीं के बराबर करते हैं. उन्होंने कहा कि यदि लोग नशा करना चाहते हैं तो उन्हें उस तरह की चीज़ें परोसी जानी चाहिए, जिनका सेवन करने के बाद हत्या, बलात्कार या अन्य अपराध नहीं किए जाते हैं.

एमपी: उमा भारती ने शराबबंदी के लिए भोपाल में शराब की दुकान पर फेंका पत्थर

मध्य प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की मांग कर रहीं भाजपा नेता उमा भारती भोपाल के आज़ाद नगर स्थित एक शराब की दुकान में घुसीं और पूरी ताकत के साथ पत्थर फेंककर वहां रैक में रखी शराब की कुछ बोतलों को फोड़ दिया. भाजपा ने उनकी कार्रवाई से ख़ुद को दूर कर लिया हैं. पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह उनका निजी अभियान है, जो वह राज्य में शराबबंदी के लिए चला रही हैं.

गुजरात मद्य निषेध क़ानून के ख़िलाफ़ याचिकाएं विचार योग्य: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात मद्य निषेध क़ानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कहा है कि प्रावधान मनमाने, अतार्किक, अनुचित और भेदभावपूर्ण हैं और छह दशकों से अधिक समय से क़ानून के बावजूद तस्करों, संगठित आपराधिक गिरोह के नेटवर्क और भ्रष्ट अधिकारियों की सांठगांठ के कारण शराब की आपूर्ति हो रही है. वहीं सरकार के वकील ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ही इस पर फ़ैसला करने के लिए सही मंच है, न कि गुजरात हाईकोर्ट.