उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने कुछ दिन पहले आतंकी संगठन आईएसआईएस से कथित तौर पर जुड़े तीन लोगों को गिरफ़्तार करने के बाद यह गिरफ्तारी की है. एटीएस ने बताया कि गिरफ़्तार आरोपियों के पास से प्रतिबंधित आईएसआईएस साहित्य, मोबाइल फोन और पेन ड्राइव ज़ब्त किए गए हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को इज़रायल-हमास संघर्ष पर भारत सरकार के रुख़ का विरोध करने और फिलिस्तीन का समर्थन करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कुछ छात्रों द्वारा बीते 8 अक्टूबर की रात को फिलीस्तीनियों के समर्थन में एक मार्च निकाला गया था. पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने अपने मार्च के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली थी. एफआईआर में कहा गया है कि छात्रों ने एक ‘आतंकवादी समूह’ के ‘समर्थन’ में मार्च किया था.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने वैश्विक आतंकवादी समूह आईएसआईएस का सदस्य होने के आरोप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के एक 19 वर्षीय छात्र को गिरफ़्तार किया है. छात्र झारखंड के लोहरदगा ज़िले का रहने वाला है.
राज्यसभा में भाजपा सांसद हरिनाथ सिंह यादव ने पूछा था कि क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया या देश के किसी अन्य शैक्षणिक संस्थान में पाकिस्तानी लेखक की किताब पढ़ाई जा रही है और क्या इसके लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर विचार करना चाहिए.
जामिया नगर इलाके में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
गुरुवार शाम को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से संबंधित वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें दो अलग-अलग समूहों में शामिल युवा कथित तौर पर ‘भारत माता की जय’ और ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाते दिख रहे हैं. यह घटना गणतंत्र दिवस समारोह के फौरन बाद की बताई जा रही है.
आरोप है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जिन छात्रों ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था, उनके पास कथित तौर पर 6 दिसंबर को ‘काला दिन’ बताने वाले पोस्टर थे. घटना के एक दिन बाद हिंदुत्ववादी संगठनों ने धमकी दी थी कि अगर आरोपी छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे.
दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को राजद्रोह के उस मामले में ज़मानत दी है, जिसमें उन पर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया में दिए भाषण के ज़रिये दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों के चलते उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा.
कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने अलीगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में एक धर्म विशेष के ख़िलाफ़ भड़काऊ टिप्पणी कीं, जिसके बाद उनके साथ-साथ अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महासचिव पूजा शकुन पांडे और उनके पति के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने बीसवीं सदी के दो प्रमुख इस्लामी विद्वानों- अबुल आला मौदूदी और सैयद क़ुतुब के विचार पाठ्यक्रम से हटाए जाने पर कहा कि ऐसा किसी भी तरह के अनावश्यक विवाद से बचने के लिए किया गया है. इससे पहले दक्षिणपंथी विचारधारा के 20 से अधिक स्कॉलर्स ने इन विद्वानों के विचारों को आपत्तिजनक क़रार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम को दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में वर्ष 2020 में भड़के दंगे के कथित षड्यंत्र के मामले में जनवरी 2020 में गिरफ़्तार किया गया था. तब से वे जेल में हैं.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि पीएचडी छात्रा ने कुलपति से की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके दो शोध सुपरवाइज़रों द्वारा उनकी पीएचडी थीसिस जमा करने से मना कर दिया, जिससे उन्होंने यह क़दम उठाया. मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर उसे तीन दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने विश्वविद्यालय से संबद्ध जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर जितेंद्र कुमार को हिंदू पौराणिक कथाओं में ‘बलात्कार’ से संबंधित उदाहरण देकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में निलंबित कर दिया है. इसके अलावा उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज कराई गई है.
दिल्ली की एक अदालत ने दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई हिंसा से संबंधित मामले में शरजील इमाम को ज़मानत देते हुए कहा कि अपराध की प्रकृति और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उनका आवेदन को मंज़ूर किया जाता है कि उन्हें जांच के दौरान गिरफ़्तार नहीं किया गया था.