सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद को लेकर चर्चा में रहे दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को केंद्र ने सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सात 'विशेष मॉनिटरों' में से एक के रूप में चुना है. वे आयोग में आतंकवाद विरोधी, सांप्रदायिक दंगों और वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा जैसे क्षेत्रों पर नज़र रखेंगे.
पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द्वारा सूचना के अधिकार के तहत केंद्रीय सूचना आयोग में दिए दो आवेदनों से पता चला है कि कैसे एकाएक उनके करिअर की समाप्ति के बाद से सरकार ने उनकी पिछली सेवा संबंधी पूरी जानकारी को ज़ब्त कर लिया. इसके बाद उनकी पेंशन, चिकित्सा पात्रता और ग्रैच्युटी समेत सभी सेवानिवृत्ति बकाये, यहां तक कि भविष्य निधि भुगतान भी देने से इनकार कर दिया गया.
राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि दिल्ली पुलिस बहुत अलग तरीके से काम करती है और प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार केस में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला इस मामले में लागू नहीं होता है.
दिल्ली विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि पुलिस प्रमुख पद के लिए सिर्फ ऐसे अधिकारियों पर विचार किया जा सकता है, जिनकी सेवानिवृत्ति में कम से कम छह महीने बचे हों.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने एजीएमयूटी कैडर से बाहर गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को मंज़ूरी दी है. अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई है. उनका कार्यकाल एक साल का होगा.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय की बीते कई सालों की बजट राशि की तुलना करते हुए कहा कि साल 2017-2018 में साइबर सुरक्षा अनुसंधान और विकास नाम की एक नई श्रेणी जोड़ते हुए अनुदान आवंटन पिछले साल के 33 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 333 करोड़ रुपये किया गया. कथित तौर पर उसी साल पेगासस जासूसी शुरू हुई.
पेगासस प्रोजेक्ट: पेगासस के ज़रिये सर्विलांस संबंधित लीक हुई सूची में अक्टूबर 2018 में सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद का प्रमुख हिस्सा रहे आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के भी नंबर शामिल हैं. संभावित सर्विलांस की सूची में वर्मा के साथ उनकी पत्नी, बेटी व दामाद समेत परिवार के आठ लोगों के नंबर मिले हैं.
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 4 बी (1) के अनुरूप सीबीआई निदेशक द्वारा उनकी सेवा शर्तों से संबंधित नियमों से कुछ विपरीत होने के बावजूद पद संभालने करने की तारीख से कम से कम दो वर्ष की अवधि के लिए पद पर बने रहने का प्रावधान है.
साल 2018 में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और उस समय विशेष निदेशक के पद पर तैनात राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी, जिस पर हुए विवाद के बाद दोनों को सीबीआई से हटा दिया गया था.
सीबीआई के पूर्व निदेशक एम. नागेश्वर राव ने पिछले हफ्ते स्वतंत्रता सेनानी मौलाना आज़ाद और जाने-माने मुस्लिम शिक्षाविदों पर इतिहास के साथ छेड़छोड़ का आरोप लगाया था. सीपीएम का कहना है कि राव के शब्द, भाषा, आशय और उद्देश्य दो समुदायों के बीच नफ़रत फैलाएंगे.
सीबीआई के पूर्व निदेशक एम. नागेश्वर राव अग्नि सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड के महानिदेशक हैं. बीते शनिवार उन्होंने ट्विटर पर कहा कि आज़ादी के बाद के 30 सालों में सरकार ने लेफ्ट और अल्पसंख्यकों के हित वाले स्कॉलर और अकादमिक जगत के लोगों को बढ़ने दिया और हिंदू राष्ट्रवादी शिक्षाविदों को साइडलाइन किया गया.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि अस्थाना और सीबीआई के डीएसपी देवेन्द्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर रिश्वतखोरी के मामले की शुरुआत में जांच करने वाले अधिकारी अजय कुमार बस्सी को 28 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.
सीबीआई ने साथ ही रॉ प्रमुख एसके गोयल को मामले में पाक साफ करार दिया है जो इस मामले में जांच के घेरे में थे. सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार को भी एजेंसी से क्लीन चिट मिल गई जिन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया था और जिन्हें बाद में जमानत मिल गई थी.
गृह मंत्रालय के एक पत्र से पता चला है कि आलोक वर्मा के पीएफ व अन्य लाभ पर रोक लगा दी गई है, क्योंकि वह अनधिकृत अवकाश पर चले गए. पिछले साल सीबीआई निदेशक रहने के दौरान आलोक वर्मा और तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, इसके बाद सरकार ने आलोक वर्मा को पद से हटा दिया था.