दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की गई थी, क्योंकि उन्होंने एक ट्विटर यूज़र को जवाब दिया था, जिसने उन्हें गाली दी थी और उनके पेज पर सांप्रदायिक टिप्पणियां भी की थीं.