अमर्त्य सेन समेत शिक्षाविदों ने भारत में आलोचकों को बिना मुक़दमे लंबी क़ैद में रखने की आलोचना की

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन सहित अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों ने बड़ी संख्या में लेखकों, पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स को बिना मुक़दमे के लंबे समय तक क़ैद में रखने की आलोचना की और कहा कि ऐसे कारावास को भारतीय संसद द्वारा पारित ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम में संशोधन के माध्यम से विधायी समर्थन दिया गया है.

समान नागरिक संहिता लागू करने का क़दम एक धोखा है, जो हिंदू राष्ट्र से जुड़ा है: अमर्त्य सेन

समान नागरिक संहिता के संबंध में नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने सवाल उठाते हुए पूछा कि इस तरह की कवायद से किसे फायदा होगा. यह अभ्यास निश्चित रूप से ‘हिंदू राष्ट्र’ के विचार से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि ‘हिंदू राष्ट्र’ ही एकमात्र तरीका नहीं हो सकता, जिससे देश प्रगति कर सकता है.

विश्व भारती के क़ब्ज़े के दावे को आधारहीन बताते हुए ममता ने अमर्त्य सेन को भूमि रिकॉर्ड सौंपे

विश्व भारती विश्वविद्यालय ने नोबेल विजेता अमर्त्य सेन पर शांति निकेतन में कथित तौर पर ‘अनधिकृत रूप से भूखंड क़ब्ज़ाने के आरोप लगाए थे, जिसे सेन ने ख़ारिज किया था. अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें संबंधित ज़मीन के कागज़ात देते हुए विश्व भारती के आरोपों को आधारहीन बताया है.

पश्चिम बंगाल: विश्व भारती ने भूखंड मुद्दे पर अमर्त्य सेन को तीन दिन में दूसरा पत्र भेजा

विश्व भारती विश्वविद्यालय ने बीते 24 जनवरी को एक पत्र भेजकर नोबेल विजेता अमर्त्य सेन से शांति निकेतन में कथित तौर पर ‘अनधिकृत रूप से क़ब्ज़ाया गया’ भूखंड को सौंपने को कहा था. इस पर सेन का कहना था कि आरोपों के समर्थन में साक्ष्य भी पेश किए जाने चाहिए.  

नहीं जानता कि विश्व भारती विश्वविद्यालय मुझे हटाने की कोशिश क्यों कर रहा है: अमर्त्य सेन

पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती ने बीते मंगलवार को अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन से शांतिनिकेतन में ज़मीन के एक हिस्से को सौंपने को कहा था और दावा किया था कि भूमि के इस हिस्से पर उन्होंने अनधिकृत तरीके से क़ब्ज़ा किया हुआ है. सेन ने कहा कि वह इस क़दम के पीछे की राजनीति को नहीं समझ पा रहे हैं.

मोदी सरकार दुनिया की सबसे भयावह सरकारों में से एक है: अमर्त्य सेन

वीडियो: नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत रत्न से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सबसे कठोर आलोचकों में से एक रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार करण थापर से बातचीत में उन्होंने मोदी सरकार और मुस्लिमों के साथ सरकार द्वारा किए जा रहे व्यवहार के अलावा अन्य मुद्दों पर चर्चा की.

देश में असहिष्णुता लंबे समय तक नहीं रहेगी, लोगों को मिलकर काम करना होगा: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कोलकाता में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोग अगर सहमत नहीं हैं या दूसरों की बात नहीं मानते हैं तो उन्हें पीटा जा रहा है. लोगों को मिलकर काम करना होगा. मतभेद दूर किए जाने चाहिए. हमें अपने बीच की दूरियों को कम करने की ज़रूरत है.

राजनीतिक अवसरवाद के लिए लोगों को बांटा जा रहा है: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने इस बात पर भी अफ़सोस जताया कि राजनीतिक कारणों से लोगों को क़ैद करने की औपनिवेशिक प्रथा भारत को आज़ादी मिलने के दशकों बाद भी जारी है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक अवसरवाद के कारण हिंदुओं और मुसलमानों के सह-अस्तित्व में दरार पैदा की जा रही है.

देश में मौजूदा हालात डर की वजह बन गए हैं: अमर्त्य सेन

कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान नोबेल सम्मानित अर्थशास्त्री ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका अक्सर विखंडन के ख़तरों की अनदेखी करती है, जो डराने वाला है. एक सुरक्षित भविष्य के लिए न्यायपालिका, विधायिका और नौकरशाही के बीच संतुलन होना ज़रूरी है, जो भारत में नदारद है. यह असामान्य है कि लोगों को सलाखों के पीछे डालने के लिए औपनिवेशिक क़ानूनों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

भारत सरकार के भ्रम के कारण कोविड-19 संकट पैदा हुआ: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि भारत सरकार ने भ्रम में रहते हुए कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए काम करने के बजाय अपने कामों का श्रेय लेने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने कहा कि श्रेय पाने की कोशिश करना और श्रेय पाने वाला अच्छा काम न करना बौद्धिक नादानी का एक स्तर दिखाता है, जिससे बचना चाहिए. भारत ने यही करने की कोशिश की.

इस बार तो बंगाल को टैगोर का जन्मोत्सव मनाने का हक़ है…

2021 में बंगाल गर्वपूर्वक अपने कवि से कह सकता है, ये जो फूल आपको अर्पित करने मैं आया हूं वे सच्चे हैं, नकली नहीं. इस बार प्रेम, सद्भाव, शालीनता के लिए स्थान बचा सका हूं. यह कितने काल तक रहेगा इसकी गारंटी नहीं पर यह क्या कम है कि इस बार घृणा और हिंसा के झंझावात में भी ये कोमल पुष्प बचाए जा सके.

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