केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में पिछले चार वर्षों में हथियारों, गोला-बारूद, आईईडी और डेटोनेटर की सबसे ज़्यादा बरामदगी हुई है. साल 2018 में 275, 2019 में 185, 2020 में 453, 2021 में 364, 2022 में 485 और इस साल 67 हथियार बरामद किए गए हैं.
मणिपुर में बीते महीने शुरू हुई हिंसा के दौरान थानों और सरकारी शस्त्रागारों से बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद लूटे जाने की घटनाएं देखी गई थीं. अब भाजपा विधायक एल. सुसिंद्रो ने इंफाल में अपने घर के बाहर एक 'ड्रॉप बॉक्स' रखते हुए नागरिकों से इन हथियारों को लौटाने की अपील की है.
मणिपुर में शुरुआती हिंसा के समय 1,000 हथियार और 10,000 से अधिक गोलियां आदि लूटे गए थे. बीते हफ्ते जब दोबारा हिंसा हुई, तो इससे तीन गुना अधिक लूट देखी गई. ख़बरों के अनुसार, पुलिस और राज्य के शस्त्रागार से अब तक 'लूटे गए' हथियारों की कुल संख्या 4,000 से अधिक है.
भारतीय सेना की आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से आयुध फैक्टरी बोर्ड द्वारा निर्मित गोला-बारूद और हथियारों के कारण दुर्घटनाओं में 27 सैनिकों और नागरिकों की जान चली गई और 159 लोग घायल हुए हैं.
देश की 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के बोर्ड के निगमीकरण की केंद्र सरकार की योजना के विरोध में 20 अगस्त से करीब 82 हजार असैन्य कर्मचारी हड़ताल पर थे.
केंद्र सरकार द्वारा आयुध फैक्ट्रियों के निगमीकरण का प्रस्ताव पास करने के विरोध में यह हड़ताल ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के बोर्ड के तीन मजदूर संघों ने की है. यूनियनों का आरोप है कि सरकार निगमीकरण के बहाने फैक्ट्रियों का निजीकरण करना चाहती है.
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एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री द्वारा गोला-बारूद की गुणवत्ता पर ठीक से ध्यान नहीं दिए जाने पर गंभीर चिंता ज़ाहिर की है.
केंद्र द्वारा अतिरिक्त बजट न देने के कारण आपातकालीन स्थिति में काम आने वाले गोला-बारूद के लिए फंड बचाने के चलते सेना सरकारी ऑर्डनेन्स फैक्टरियों पर ख़र्च किए जाने वाले बजट को कम कर रही है.