लोकसभा में ड्रग्स की तस्करी को लेकर सर्विलांस से जुड़े मसले पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पेगासस स्पायवेयर से जासूसी के आरोपों के बारे में केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा था.
पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति के कोई निर्णायक निष्कर्ष न देने के बाद अदालत के पास सच्चाई जानने के दो आसान तरीके हैं. एक, केंद्रीय गृह मंत्री, एनएसए समेत महत्वपूर्ण अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफ़नामे मांगना और दूसरा, समिति के निष्कर्षों की प्रतिष्ठित संगठनों से समीक्षा करवाना.
18 जुलाई 2021 से पेगासस प्रोजेक्ट के तहत एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठन शामिल थे, ने ऐसे मोबाइल नंबरों के बारे में बताया था, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये निगरानी की गई या वे संभावित सर्विलांस के लक्ष्य थे. इसमें कई भारतीय भी थे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी जांच के लिए गठित समिति द्वारा अंतिम रिपोर्ट दिया जाना बाक़ी है.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि तकनीकी समिति पेगासस स्पायवेयर प्रभावित मोबाइल फोन की जांच कर रही है और उसने पत्रकारों समेत कुछ लोगों के बयान भी दर्ज किए हैं. शीर्ष अदालत कथित जासूसी मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाली पत्रकारों और मीडिया संगठनों द्वारा दाख़िल की गईं याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
फंड का प्रबंधन करने के लिए कंसल्टेंसी कंपनी द्वारा अदालत में दी गई जानकारी के मुताबिक़, 2019 में एनएसओ समूह को एक निजी इक्विटी कंपनी नोवलपिना कैपिटल ने एक अरब डॉलर में खरीदा था लेकिन यह स्पष्ट है कि एनएसओ की इक्विटी का अब कोई मूल्य नहीं है.
इज़रायली टेक कंपनी एनएसओ ग्रुप ने ‘कैल्कलिस्ट’ अख़बार के ख़िलाफ़ मानहानि का मुकदमा दायर कर 3,10,000 डॉलर के हर्जाने की मांग की है. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि स्पायवेयर का इस्तेमाल राजनीतिक दलों के नेताओं, प्रदर्शनकारियों और यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, उनके बेटे, क़रीबी लोगों की जासूसी के लिए किया गया था.
इज़रायल के एक समाचार पत्र ‘कैलकलिस्ट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि स्पायवेयर का इस्तेमाल पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बेटे एवनर, दो संचार सलाहकारों और मामले में एक अन्य प्रतिवादी की पत्नी के ख़िलाफ़ किया गया. वे लोग उन कई प्रमुख हस्तियों में शामिल हैं, जिन्हें स्पायवेयर के ज़रिये निशाना बनाया गया. उनमें प्रमुख कारोबारी, कैबिनेट मंत्रालयों के पूर्व निदेशक, मेयर और प्रदर्शन के आयोजक शामिल थे.
एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ने बताया कि उन्होंने सात याचिकाकर्ताओं के आईफोन का विश्लेषण किया, जिनमें से दो में पेगासस से सेंधमारी की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हलफनामे में विशेषज्ञ ने बताया कि जांचे गए छह एंड्रॉयड फोन में से चार में इस मालवेयर के अलग-अलग वर्ज़न मिले जबकि दो में पेगासस के मूल वर्ज़न के साक्ष्य मिले.
लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पेगासस मुद्दे पर सदन को गुमराह करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने की मांग की है. भाकपा सांसद विनय विश्वम ने भी उनके ख़िलाफ़ ऐसा ही नोटिस राज्यसभा में दिया है. पेगासस जासूसी से जुड़ीं ख़बरों पर वैष्णव ने पिछले साल दोनों सदनों में कहा था कि ये रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र और इसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने का प्रयास है.
फिनलैंड के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है. उसने कहा कि वह पिछले साल से पेगासस के इस्तेमाल की जांच कर रहा था और साथ ही कहा कि जासूसी अब नहीं की जा रही है. मंत्रालय की ओर से कहा गया कि बेहद जटिल मालवेयर से उपयोगकर्ताओं के एप्पल या एंड्रॉयड फोन में घुसपैठ की गई है. यह उनकी जानकारी के बिना किया गया.
सरकार के विरोधियों पर पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किए जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में पोलैंड के सत्ताधारी कंज़र्वेटिव पार्टी ‘लॉ एंड जस्टिस’ के नेता और उप-प्रधानमंत्री जारोस्लाव कैकजिंस्की कहा कि इसका इस्तेमाल कई देशों का खुफ़िया विभाग अपराध और भ्रष्टाचार से निपटने में कर रहा है. उन्होंने इस बात से इनकार किया है कि इसका इस्तेमाल उनके राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में किया जा रहा है.
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर नागरिकों से यह भी बताने को कहा है कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि उनके मोबाइल फोन में इज़रायल के एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित पेगासस स्पायवेयर से सेंध लगाई गई होगी. जांच के लिए उन्हें अपना फोन दिल्ली में जमा करना होगा.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत द वायर सहित 17 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने जुलाई में बताया था कि विपक्षी नेताओं, सरकार से असहमति जताने वालों और सरकारी अधिकारियों को संभवतः पेगासस के ज़रिये निशाना बनाया गया.
द वायर ने अपनी कई रिपोर्ट्स में बताया था कि किस तरह इज़राइल स्थित एनएसओ ग्रुप द्वारा निर्मित मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर भारत के पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और सिविल समाज के सदस्यों को निशाना बनाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने डेटा प्राइवेसी के मसले पर एक समिति गठित कर दी है, यह सिर्फ फ्री स्पीच बनाम हेट स्पीच का मामला नहीं रहा गया है, बल्कि प्राइवेसी बनाम डीप स्टेट और प्राइवेसी बनाम बिग टेक, जो इस नए युद्ध का नया मोर्चा हो गया है, का मामला बन गया है.