महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे लिखे पत्र में एनसीपी नेता और विधायक धनंजय मुंडे ने दावा किया कि राज्य की पिछली देवेंद्र फड़णवीस सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत भीमा-कोरेगांव घटनाक्रम में शामिल लोगों के खिलाफ ‘झूठे’ मामले दर्ज किए थे.
आंबेडकर जयंती के मौके पर लेखक तेलतुम्बड़े ने कहा, 'आंबेडकर को हर कोई अपने अपने ढंग से समझता है. आज के समय में हर राजनीतिक दल उन्हें अपना बताने की कोशिश में हैं लेकिन आंबेडकर के विचारों पर कोई नहीं चलना चाहता.'
यह निबंध-संग्रह 'एक राष्ट्र, एक जन, एक संस्कृति’ के स्वनामधन्य पैरोकारों की असली-नकली अवधारणाओं और कुतर्कों की बिना पर रचे जा रहे तिलिस्म को वैज्ञानिक चिंतन प्रक्रिया की कसौटी पर कसकर न सिर्फ बेपरदा बल्कि पूरी तरह ख़ारिज भी करता है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को चार्जशीट दायर करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार किया था. शीर्ष अदालत ने उसे ख़ारिज कर दिया और कहा कि अब जब चार्जशीट दायर हो चुकी है, तो मामले में गिरफ़्तार पांच कार्यकर्ता नियमित ज़मानत की मांग कर सकते हैं.
एल्गार परिषद/भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने तेलतुम्बड़े को 14 और 18 फरवरी को जांच अधिकारियों के सामने पेश होने का आदेश दिया.
सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े पर भीमा कोरेगांव हिंसा और माओवादियों से कथित जुड़ाव के आरोपों को अमेरिका और यूरोप के अग्रणी शिक्षाविदों ने क़ानून का दुरुपयोग बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र पर गंभीर हमला है और इसके तुरंत समाधान की ज़रूरत है.
आज की मास्टर क्लास में अपूर्वानंद सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े की संभावित गिरफ़्तारी पर चर्चा कर रहे हैं.
लेखकों, संस्कृतिकर्मियों और प्रबुद्धजनों ने सरकार से मांग की है कि सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े के ख़िलाफ़ लगाए गए सभी फ़र्ज़ी आरोपों को तत्काल ख़ारिज किया जाए.
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आनंद तेलतुम्बड़े की अग्रिम ज़मानत संबंधी याचिका पर सुनवाई 11 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी.
पुणे पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा और माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम सुरक्षा के बावजूद शनिवार को आनंद तेलतुम्बड़े को गिरफ्तार कर लिया था.
भीमा-कोरेगांव हिंसा में कथित भूमिका और माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीते 14 जनवरी को दलित शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े की गिरफ़्तारी से अंतरिम सुरक्षा की अवधि चार सप्ताह और बढ़ा दी थी.
सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े को एल्गार परिषद/भीमा-कोरेगांव हिंसा में कथित भूमिका और माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में आरोपी बनाया गया है.
जयपुर साहित्य उत्सव में शामिल हुईं आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि एक सूचना कार्यकर्ता के लिए हालात चिंताजनक हैं क्योंकि किसी तरह की सूचना मांगने को राजद्रोह क़रार दिया जा सकता है.
राजतंत्र हम सबको इतना मूर्ख समझ रहा है कि हम विश्वास कर लेंगे कि सामाजिक कार्यकर्ता इस देश में हिंसा की साज़िश कर रहे हैं. यह कहने वाले वे हैं जो दिन-रात मुसलमानों, ईसाईयों और सताए जा रहे लोगों के हक़ में काम करने वालों को शहरी माओवादी कहकर नफ़रत और हिंसा भड़काते रहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े की गिरफ़्तारी से अंतरिम सुरक्षा की अवधि चार सप्ताह और बढ़ा दी है.