बंगाल में भाजपा के सत्ता में आने पर एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाया जाएगाः योगी आदित्यनाथ

साल 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद महिलाओं की सुरक्षा का दावा करते हुए एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया गया था. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक उस समय राज्य में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के प्रतिदिन 153 मामले सामने आते थे, जो संख्या 2019 में 164 हो गई.

नोएडा पुलिस महिलाओं से छेड़छाड़ करने वालों को जारी करेगी रेड कार्ड

नोएडा पुलिस इस पहल के तहत स्कूलों और कॉलेजों में फीडबैक फॉर्म का वितरण करेगी, जिसमें महिलाओं से सुझाव मांगे जाएंगे कि वह उन क्षेत्रों के बारे में बताएं, जहां एंटी रोमियो स्क्वाड की जरूरत है.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के कार्यकाल में 3,000 से अधिक मुठभेड़ों में 78 की मौत

उत्तर प्रदेश सरकार ने मुठभेड़ों, अपराधियों की हत्याओं और गिरफ्तारियों के आंकड़ों को उपलब्धियों की सूची में शामिल किया गया है जिसे गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रचारित किया जाएगा. मुख्य सचिव अनूप चंद्र पाण्डेय ने गणतंत्र दिवस से पहले सरकार की उपलब्धियों को पत्र के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को भेजा है.

जब सांप्रदायिक एजेंडा ‘सुशासन’ का मुखौटा पहनता है, तब गोरखपुर त्रासदी नियति बन जाती है

एक जीवंत लोकतंत्र में 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत किसी राजनेता का करिअर ख़त्म कर सकता था, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता.

प्रशांत भूषण और सतही ​समझ के धार्मिकों का अधर्म

भारतीय परंपरा और लड़कियों की सुरक्षा की ओट में पुरानी पीढ़ी का आधुनिकता विरोध एक ऐसे सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को मज़बूती दे रहा है जो आगे जाकर भारतीय सभ्यता से समन्वयवाद का पूरा सफाया करने में संकोच नहीं करेगा.

एंटी रोमियो के दौर में यूपी के एक थानाध्यक्ष ने छात्रा को भेजा अश्लील संदेश

उत्तर प्रदेश में जारी एंटी रोमियो दौर में छात्रा को अश्लील संदेश भेजकर प्रताड़ित करने के आरोप में बदायूं के एक थानेदार के ख़िलाफ़ शनिवार को मामला दर्ज किया गया है.

जन की बात: जीएसटी और उत्तर प्रदेश का एंटी रोमियो स्क्वाड, एपिसोड 26

जन की बात की 26वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) विधेयक और उत्तर प्रदेश में बने एंटी रोमियो स्क्वाड पर चर्चा कर रहे हैं.

एंटी रोमियो स्क्वाड: स्त्री को क़ाबू में करने का नया हथियार

प्रेम समाज की सीमाओं को तोड़ता है, एक स्तर पर समानता भी लाता है. समाज और पितृसत्ता के ठेकेदार तो इसके ख़िलाफ़ रहेंगे ही, क्योंकि प्रेम के कारण न सिर्फ़ स्त्रियों, बल्कि युवा पुरुष वर्ग पर भी प्रभुत्व ख़त्म हो जाएगा, इसलिए उनके लिए वो अस्वीकार्य है.