उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजों में भाजपा ने पूर्ण बहुमत तो पा लिया है, लेकिन पिछली बार से उसकी 57 सीटें कम हो गईं, जिसका लाभ समाजवादी पार्टी को मिला है. इतना ही नहीं उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत योगी सरकार के 11 मंत्रियों का हार का सामना करना पड़ा.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान की पत्नी तंज़ीन फ़ातिमा फ़िलहाल रामपुर सदर से विधायक हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में सपा ने यहां से आज़म ख़ान को अपना उम्मीदवार बनाया है. उनके ख़िलाफ़ भाजपा ने आकाश सक्सेना को टिकट दिया है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में रामपुर ज़िले की स्वार टांडा सीट से आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्ला आज़म ख़ान के सामने अपना दल के उम्मीदवार हमज़ा मियां के सामने मैदान में हैं. हमज़ा मियां के पिता पूर्व मंत्री नवाब काज़िम अली ख़ान उर्फ नावेद मियां भी कांग्रेस उम्मीदवार हैं. वह रामपुर शहर विधानसभा सीट से सपा सांसद आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रहे हैं. द वायर की टीम ने स्वार टांडा में लोगों से बात कर उनकी समस्याएं जानी.
दलित, पिछड़ी और कमज़ोर मानी जाने वाली जातियां, जिन्होंने 2014 के बाद 2017 और 2019 में भाजपा की हिंदुत्व की लहर में बहकर उसे समर्थन दिया, 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले ही उनका पार्टी से मोहभंग हो गया है. मुस्लिम आबादी के साथ इन समुदायों का गठजोड़ भाजपा के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है.
निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने उनके पुत्र और भाजपा सांसद प्रवीण निषाद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न करने पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि निषाद समुदाय के लोग पहले ही भाजपा से दूर जा रहे हैं. अगर पार्टी ने अपनी ग़लतियां नहीं सुधारीं, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे.
भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) के विधायक अमर सिंह चौधरी ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार को किसानों और लोगों के नाराज़ होने से दिक्कत नहीं. ऐसा लग रहा है कि उद्देश्य मुट्ठीभर उद्योगपतियों को नाराज़ नहीं करने का है.
पिछले 21 वर्षों में चंदौली सीट के मतदाताओं ने किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को लगातार दो बार नहीं चुना है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे दोबारा जीत दर्ज कर अपनी प्रतिष्ठा बचा पाते हैं या नहीं.
गठबंधन के तहत कांग्रेस ने अपना दल को दो सीटें- गोंडा और बस्ती दी हैं.
वर्ष 2014 में भाजपा के ही साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले अपना दल को मिर्ज़ापुर और प्रतापगढ़ लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी.
एक नागरिक और कार्यकर्ता के रूप में सतर्क रहना चाहिए कि राजनीति चंद परिवारों के हाथ में न रह जाए. लेकिन इस सवाल पर बहस करने योग्य न तो अमित शाह हैं, न नरेंद्र मोदी और न राहुल गांधी. सिर्फ जनता इसकी योग्यता रखती है. जब तक ये नेता कोई साफ़ लाइन नहीं लेते हैं, परिवारवाद के नाम पर इनकी बकवास न सुनें.
अपना दल (सोनेलाल) के नेता सोनेलाल पटेल की 69वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा, ‘एक बार बिहार में मुझे मौका मिला. मैंने मुसलमान मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की लेकिन लालू यादव, राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे.’