भीमा कोरेगांव आरोपियों के वकील ने कहा- 5 साल बाद भी सबूतों की 60% प्रतियां उन्हें नहीं दी गईं

भीमा-कोरेगांव और एल्गार परिषद मामले में कुछ आरोपियों की पैरवी कर रहे वकील ने कहा है कि अदालत ने मई 2022 में आरोपियों को उनके ख़िलाफ़ जुटाए गए सबूतों की सभी क्लोन कॉपी प्रदान करने का निर्देश एनआईए को दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी केवल 40 फीसदी कॉपी ही साझा की गई हैं.

एल्गार परिषद: कार्यकर्ताओं ने आरोपियों की रिहाई और झूठे सबूत गढ़ने के आरोपों की जांच की मांग की

बीते दिनों एक अमेरिकी डिजिटल फॉरेंसिक फर्म की रिपोर्ट में पाया गया था कि एल्गार परिषद मामले के एक आरोपी आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के लैपटॉप में उन्हें फंसाने वाले दस्तावेज़ प्लांट किए गए थे. 84 वर्षीय स्वामी की जुलाई 2021 में अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर ज़मानत का इंतज़ार कर रहे थे.

स्टेन स्वामी के लैपटॉप में उन्हें फंसाने वाले दस्तावेज प्लांट किए गए थे: फॉरेंसिक रिपोर्ट

मैसाच्युसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेन स्वामी लगभग पांच वर्ष तक एक मैलवेयर कैंपेन के निशाने पर थे, जब तक कि जून 2019 में पुलिस द्वारा उनके उपकरण ज़ब्त नहीं किए गए.

कार्यकर्ता रोना विल्सन को 10 सालों के साइबर जासूसी प्रयासों के बाद निशाना बनाया गयाः रिपोर्ट

साइबर सिक्योरिटी फर्म सेंटिनलवन के अमेरिकी विशेषज्ञों के निष्कर्ष बताते हैं कि एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन को एक दशक के लंबे प्रयास के बाद निशाना बनाया गया. इससे पहले डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग ने विल्सन के ख़िलाफ़ पेश इलेक्ट्रॉनिक सबूतों का अध्ययन करने के बाद कहा था कि उनके आईफोन में पेगासस के साक्ष्य मिले थे.

अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन के आईफोन में पेगासस स्पायवेयर डाला गया था: फॉरेंसिक रिपोर्ट

अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक्स कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार क़ैदियों के अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन के फोन को कई बार सफलतापूर्वक हैक किया गया था.

एल्गार मामला: पिता के निधन के बाद पारिवारिक कार्यक्रम के लिए रोना विल्सन को अस्थायी ज़मानत मिली

एल्गार परिषद मामले में सबसे पहले गिरफ़्तार हुए रोना विल्सन के पिता का बीते अगस्त में निधन हो गया था. उनके निधन के तीस दिन पूरे होने पर चर्च में आयोजित मास में शामिल होने के लिए एनआईए अदालत ने विल्सन को 13 से 27 सितंबर तक अस्थायी ज़मानत दी है.

पेगासस हमला: एल्गार परिषद मामले में पहले से बिछाया गया था स्पायवेयर निगरानी का जाल

द वायर और सहयोगी मीडिया संगठनों द्वारा हज़ारों ऐसे फोन नंबरों, जिनकी पेगासस स्पायवेयर द्वारा निगरानी की योजना बनाई गई थी, की समीक्षा के बाद सामने आया है कि इनमें कम से कम नौ नंबर उन आठ कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों के हैं, जिन्हें जून 2018 और अक्टूबर 2020 के बीच एल्गार परिषद मामले में  कथित भूमिका के लिए गिरफ़्तार किया गया था.

सुरेंद्र गाडलिंग का कंप्यूटर हैक कर डाले गए थे आरोपी ठहराने वाले दस्तावेज़: रिपोर्ट

अमेरिका के मैसाचुसेट्स की डिजिटल फॉरेंसिक कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट बताती है कि एल्गार परिषद मामले में हिरासत में लिए गए 16 लोगों में से एक वकील सुरेंद्र गाडलिंग के कंप्यूटर को 16 फरवरी 2016 से हैक किया जा रहा था. दो साल बाद उन्हें छह अप्रैल 2018 को गिरफ़्तार किया गया था.

एल्गार परिषद: सुरेंद्र गाडलिंग ने मां की पहली पुण्यतिथि पर अस्थायी ज़मानत की मांग की

एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग की मां का पिछले साल 15 अगस्त को निधन हो गया था. एल्गार परिषद मामले में गाडलिंग जैसे गिरफ़्तार आरोपियों को अपनी मां के अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण मामलों में भी अस्थायी ज़मानत मुश्किल से मिल रही है. स्टेन स्वामी को भी उनके ख़राब स्वास्थ्य के बावजूद मेडिकल ज़मानत नहीं दी गई थी. बीते पांच जुलाई को उनका निधन हो गया.

एल्गार परिषद: परिजनों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की

भीमा-कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद सम्मेलन के संबंध में साल 2018 से अब तक 15 अधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया है. इनके परिजनों ने कोविड-19 की दूसरी लहर को देखते हुए इनकी रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि ये सभी लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं और उनमें से एक कार्यकर्ता को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है.

एल्गार परिषद: एनआईए ने कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर को हैक करने से इनकार किया

भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.