जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू होने के समय दूसरे राज्यों के लोग वहां ज़मीन या अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते थे. संसद में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि इस अनुच्छेद के निरस्त होने के बाद से सूबे के बाहर के व्यक्तियों ने कुल सात भूखंड खरीदे, जो जम्मू क्षेत्र में आते हैं.
अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. विभिन्न राजनीतिक दल, ख़ासकर जम्मू एवं कश्मीर के राजनीतिक दल अक्सर केंद्र से राज्य का दर्जा देने और चुनाव कराए जाने की मांग करते रहे हैं.
इससे पहले जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से आतंकी हमलों में मरने वाले नागरिकों की संख्या बढ़ने की बात सामने आई थी. केंद्र ने बताया था कि मई 2014 से पांच अगस्त 2019 के बीच हुए आतंकी हमलों में 177 नागरिक मारे गए थे. उसके बाद नवंबर 2021 तक 27 महीनों में 87 नागरिकों की मौत हुई. इनमें से 40 से अधिक की मृत्यु इसी साल हुई है.
अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अलग कर केंद्रशासित राज्य लद्दाख बनाए जाने के बाद से इसे पूर्ण राज्य का दर्जा और यहां के निवासियों को ज़मीन और नौकरी की सुरक्षा गारंटी दिए जाने की मांग आए दिन होती रहती है. आमतौर पर लद्दाख के मुस्लिम बहुल कारगिल और बौद्ध बहुल लेह क्षेत्र एक दूसरे से बंटे रहते हैं, लेकिन इस बार लोगों ने एक सुर में क्षेत्र की संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग उठाई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों अनुसार, मई 2014 और अगस्त 2019 के बीच आतंकी हमलों में जम्मू कश्मीर में 177 नागरिकों की मौत हुई थी लेकिन उसके बाद नवंबर 2021 तक 87 नागरिक मारे गए. इनमें से 40 से अधिक की इसी साल मौत हुई है.
साल 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्ज़ा ख़त्म किए जाने के बाद से 250 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि ग़ैर-वन कार्यों के लिए ट्रांसफर किया गया है. ये भूमि पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील है और यहां कई लुप्तप्राय जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से कुछ इलाकों में रहने वाले लोगों का आरोप है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने इन प्रस्तावों को मंज़ूरी देने से पहले यहां की पंचायत समितियों या स्थानीय लोगों से परामर्श नहीं किया है.
भाजपा महासचिव अशोक कौल ने कहा कि जब आम आदमी बिना किसी डर के मुक्त रूप से घूमने लगेगा तो केंद्रशासित प्रदेश के राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. इस बयान की निंदा करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि निशाना बनाकर की गईं हत्याएं केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ‘सामूहिक विफलता’ को दर्शाती हैं.
गुजरात में अमित शाह के प्रतिनिधित्व वाले लोकसभा क्षेत्र गांधीनगर में भाजपा ‘गांधीनगर लोकसभा प्रीमियर लीग 370’ या ‘जीएलपीएल 370’ के नाम से क्रिकेट और कबड्डी में टूर्नामेंट का आयोजन कराने जा रही है. इसका मक़सद अधिक से अधिक युवाओं को पार्टी की ओर आकर्षित करना है.
जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा है कि सीआईडी के प्रमुख की अध्यक्षता में स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी नाम से नई एजेंसी आतंकवाद से जुड़े मामलों और अपराधियों को कटघरे में लाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगी.
जिस राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को देशवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने, साथ ही उल्लंघन पर नज़र रखने के लिए गठित किया गया था, वह अपने स्थापना दिवस पर भी उनके उल्लंघन के विरुद्ध मुखर होने वालों पर बरसने से परहेज़ न कर पाए, तो इसके सिवा और क्या कहा जा सकता है कि अब मवेशियों के बजाय उन्हें रोकने के लिए लगाई गई बाड़ ही खेत खाने लगी है?
जम्मू कश्मीर सरकार ने इन लोगों पर आतंकवादियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया है. उपराज्यपाल द्वारा इनकी बर्ख़ास्तगी संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(सी) के तहत की गई है. संविधान के इस प्रावधान के अनुसार सरकार को बिना जांच के ही संबंधित अधिकारी को बर्ख़ास्त करने का अधिकार मिला हुआ है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है, जब उसे राजनीतिक रंग दिया जाता है. एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता है.
जम्मू कश्मीर में बीते पांच दिनों सात नागरिकों की हत्या हुई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, आतंकवादियों ने 2021 में अब तक 28 नागरिकों की हत्या की है. अभी तक 97 आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें 71 सुरक्षा बलों पर और 26 नागरिकों पर हुए हैं.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने इन लोगों पर आतंकवादियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया है. इनकी बर्ख़ास्तगी उस कमेटी द्वारा की गई है, जिसका गठन संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(सी) के तहत किया गया है. इस कमेटी के पास बिना जांच के ही संबंधित अधिकारी को बर्ख़ास्त करने का अधिकार होता है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने आगामी जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में पूर्व सहयोगी भाजपा से किसी भी तरह का गठबंधन करने की संभावना से इनकार किया. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर संकट में है और यही हाल देश का है. भाजपा कहती है कि हिंदू ख़तरे में हैं, लेकिन असल में भाजपा की वजह से भारत और लोकतंत्र ख़तरे में हैं.