जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) की 280 सीटों के लिए आठ चरण में चुनाव कराए गए थे. इस चुनाव में 2,178 उम्मीदवार मैदान में थे. जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्ज़ा ख़त्म किए जाने के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश में यह पहला चुनाव था.
डीडीसी चुनाव नतीजे आने के एक दिन पहले जम्मू कश्मीर में अधिकारियों ने बताया कि कम से कम 20 राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिया है. इनमें महबूबा मुफ़्ती की पार्टी पीडीपी के तीन वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं. मुफ़्ती ने आरोप लगाया कि भाजपा पर चुनाव नतीजों से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है.
जम्मू कश्मीर में ज़िला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के लिए 28 नवंबर से 22 दिसंबर तक आठ चरणों में मतदान होंगे. पहले चरण के तहत शनिवार को लगभग 52 फीसदी वोटिंग हुईं. भाजपा ने उर्दू में जारी अपने घोषणा-पत्र में केंद्रशासित प्रदेश के निवासियों के लिए 100 फ़ीसदी सरकारी नौकरियां आरक्षित करने का श्रेय लेने का भी दावा किया है.
पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लरेशन की ओर से कहा गया है कि प्रचार से रोककर उनके उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया रहा है. अलायंस में शामिल पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने आरोप लगाया कि डीडीसी चुनावों में ग़ैर-भाजपा दलों की भागीदारी को भारत सरकार ने नुकसान पहुंचा रही है. माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी ने भी प्रचार न करने देने की बात कही है.
बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में ज़िला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में सीट बंटवारे में असहमति को लेकर मुज़फ़्फ़र हुसैन बेग़ इस्तीफ़ा दिया है. जम्मू कश्मीर में 28 नवंबर से 24 दिसंबर के बीच आठ चरणों में डीडीसी चुनाव कराए जाएंगे.
बीते 22 अगस्त को जम्मू कश्मीर छह क्षेत्रीय पार्टियों ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसकी बहाली के लिए मिलकर संघर्ष करने के लिए गठबंधन का ऐलान किया था और एक घोषणा-पत्र जारी किया था.
जम्मू कश्मीर में ज़िला विकास परिषद चुनाव 28 नवंबर से 22 दिसंबर तक आठ चरणों में होंगे. ये चुनाव पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों के निरस्त होने के बाद यहां पहली बड़ी राजनीतिक गतिविधि है. हालांकि कश्मीर के मुख्य दलों ने अब तक यह घोषणा नहीं की है कि वे इस चुनाव में भाग लेंगे या नहीं.
विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने केंद्र शासित जम्मू कश्मीर के ज़मीन मालिकाना अधिकार से संबंधित नियमों में बदलाव किया है, जिसके बाद देशभर से अब कोई भी यहां जमीन ख़रीद सकता है. केंद्र के इस क़दम का विरोध हो रहा है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस का आरोप है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को ईद मिलाद-उन-नबी के मौके पर फ़ारूक़ अब्दुल्ला को दरगाह हज़रतबल जाकर नमाज़ अदा करने के लिए घर से निकलने नहीं दिया गया. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने प्रशासन के इस क़दम की निंदा करते हुए इसे अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया है.
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से ‘राज्य का स्थायी नागरिक’ वाक्यांश हटा लिया है. यह धारा केंद्र शासित प्रदेश में ज़मीन के निस्तारण से संबंधित है और नया संशोधन बाहर के लोगों को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में ज़मीन खरीदने का अधिकार देने का रास्ता खोलता है.
जम्मू कश्मीर के छह दल अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसकी बहाली के लिए एकजुट हुए हैं. गठबंधन ने जम्मू कश्मीर राज्य के झंडे को अपने निशान के रूप में अपनाते हुए बीते एक साल के शासन पर श्वेतपत्र जारी करने की बात कही है.
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के क़रीब 14 महीने बाद रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि भाजपा ने देश के संविधान को ध्वस्त कर दिया है और संविधान के स्थान पर अपना घोषणापत्र थोपना चाहती है.
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जल्द ही ईडी के समनों का जवाब देगी. उमर ने यह भी कहा कि यह ‘गुपकर घोषणा’ के तहत ‘पीपुल्स अलायंस’ के गठन के बाद की जा रही प्रतिशोध की राजनीति है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि ज़िला विकास परिषद के ज़रिये स्थानीय सरकार और मज़बूत होगी. हालांकि कश्मीर के राजनीतिक दलों का कहना है कि इसका उद्देश्य राजनीति ख़त्म करना है.
पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को ख़त्म कर जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से ही नज़रबंद थीं. रिहा होने के बाद मुफ़्ती ने कहा कि जो हमसे छीना गया, उसे वापस लेना होगा.