हिंदी साहित्य हिंदी समाज का राजनीतिक प्रतिपक्ष बन गया है: अशोक वाजपेयी

परंपरा पर जो दबाव हिंदी अंचल पर पड़े हैं, वे केरल या महाराष्ट्र में नहीं थे. वहां परंपरा अधिक सजीव रही है, सुरक्षित रही है और उसे आत्म विस्तार, आत्माविष्कार  का अवसर मिलता रहा. यहां बार-बार आक्रमण होते रहे हैं. इसलिए यहां की संस्कृति अस्थिर है. इसके जो दुष्परिणाम हैं, उनमें से एक है हिंदुत्व.

साहस के बिना जनतंत्र का बने रहना असंभव है

साधारण लोग सहज रूप से साहसी होते हैं. मज़दूर अपने हक़ के लिए उठ खड़े होते हैं, किसान मोर्चे निकालते हैं, आदिवासी निहत्थे हथियारबंद राज्य के सामने खड़े हो जाते हैं, लेकिन जो भाषा का सजग अभ्यास करने का दावा करते हैं, उनका गला रुंध जाता है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की पच्चीसवीं क़िस्त.

दिल्ली विश्वविद्यालय ने फ़िलिस्तीनी कविताओं पर कार्यक्रम को रद्द किया

इस संबंध में आयोजकों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि जब रजिस्ट्रार से कार्यक्रम को अचानक रद्द करने का कारण पूछा गया, तो उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं दिया गया. जबकि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आर्ट्स फैकल्टी के डीन से पूर्व में ही लिखित अनुमति ले ली गई थी, और उस कक्ष में कोई अन्य कार्यक्रम भी प्रस्तावित नहीं था.

क्या संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल हिंदी के लेखक भी हैं?

बीते एक अप्रैल को वरिष्ठ मलयालम लेखक सी. राधाकृष्णन ने साहित्य अकादमी के एक समारोह में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए इस्तीफ़ा दे दिया. इसके बाद अकादमी ने मेघवाल की लेखकीय उपस्थिति का बचाव किया है.

‘इस समय मुख्यधारा में अंधभक्ति की स्थिति है, जिसमें असहमति की जगह नहीं है’

वरिष्ठ साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने बताया है कि उन्हें दिल्ली में आयोजित 'अर्थ- द कल्चर फेस्ट' की कविता संध्या में आमंत्रित किया गया था, पर आयोजकों ने राजनीतिक या सरकार की आलोचना करने वाली कविताएं पढ़ने से मना किया. उन्होंने कहा, 'हम असहमत लोग हैं, हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप हमें जगह देते हैं या नहीं.'

प्रख्यात कलाविद् कपिला वात्स्यायन का निधन

पद्म विभूषण से सम्मानित देश की प्रख्यात कलाविद् एवं राज्यसभा की पूर्व मनोनीत सदस्य कपिला वात्स्यायन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सदस्य और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी भी थीं.

अशोक वाजपेयी भाजपा सरकारों के आगे अपने हाथ पसारें, यह उन्हें शोभा नहीं देता

जवाहर कला केंद्र, जयपुर में होने वाले मुक्तिबोध समारोह के स्थगित होने से उपजे विवाद पर मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा का पक्ष.

भागीदारी और बहिष्कार को लेकर कोई एक नियम क्यों नहीं बना देते?

बहस-मुबा​हिसा: मुक्तिबोध जन्मशती वर्ष पर आयोजित एक कार्यक्रम का प्रगतिशील लेखक संघ ने बहिष्कार किया और कार्यक्रम रद्द हो गया. इस पर सवाल उठा रहे हैं लेखक अशोक कुमार पांडेय.