उत्तराखंड: कॉमन सिविल कोड से पहाड़ की जनता को क्या मिलेगा

अगर पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार कोई क़ानून लाना चाहती है तो उसके बारे में आम जनता को पहले से तफ़्सील से क्यों नहीं बताया जाता कि उत्तराखंड के लिए इसके क्या फ़ायदे होंगे.

पेट्रोल-डीज़ल की कीमत में फ़िर से बढ़ोतरी, विपक्ष ने मूल्यवृद्धि को वापस लेने की मांग की

सोमवार को पेट्रोल की कीमतों में 30 पैसे प्रति लीटर और डीज़ल की कीमत में 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. पिछले एक सप्ताह में कीमतों में छठी बार बढ़ोतरी की गई है. मूल्यवृद्धि को लेकर विपक्षी दल के सदस्यों ने कहा कि सरकार तर्क देती है कि तेल कंपनियां मूल्य बढ़ाती हैं और उसका हस्तक्षेप नहीं होता. अगर यह बात सही है तो यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय इनके दाम कैसे नहीं बढ़े.

पेट्रोल और डीज़ल की कीमत में फिर से बढ़ोतरी, छह दिन में पांच बार दाम बढ़े

बीते छह दिनों में हुई बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल की कीमत 3.70 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 3.75 रुपये प्रति लीटर बढ़ गए हैं. इससे पहले पेट्रोल तथा डीजल की कीमत साढ़े चार महीने तक स्थिर रहने के बाद 22 मार्च को 80 पैसे बढ़ाई गई थी. इसके बाद से इनकी कीमतों में प्रति लीटर 80-80 पैसे की तीन बार बढ़ोतरी की गई. 

पिछले पांच दिन में चौथी बार पेट्रोल-डीज़ल की कीमत में बढ़ोतरी

पेट्रोल और डीज़ल की कीमत में शनिवार को 80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. तेल कंपनियां कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी का भार उपभोक्ताओं पर डाल रही हैं. कुल चार बार में पेट्रोल और डीज़ल के दाम में कुल 3.20 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है.

पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में एक बार फिर 80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी

पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में बीते चार दिनों में तीसरी बार बढ़ोतरी की गई है. तीन बार की बढ़ोतरी के बाद 2.40 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है. उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले चार नवंबर, 2021 से ही पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें स्थिर बनी हुई थीं.

पेट्रोल-डीज़ल के दाम में लगातार दूसरे दिन भी बढ़ोतरी, विपक्ष का संसद में प्रदर्शन

पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में लगातार दूसरे दिन 80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई, जिसके बाद कांग्रेस के सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया. इसके अलावा सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों ने पेट्रोल, डीज़ल और घरेलू रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि एवं बढ़ती महंगाई के मुद्दे पर भारी हंगामा किया.

घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में 50 रुपये और पेट्रोल-डीज़ल पर 80-80 पैसे की बढ़ोतरी

बीते साल अक्टूबर के बाद एलपीजी के दामों में यह पहली बढ़ोतरी है, जबकि पेट्रोल-डीज़ल के दाम उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले 4 नवंबर 2021 से स्थिर थे. ऐसी अटकलें थीं कि 10 मार्च को चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद बढ़ोतरी की घोषणा की जाएगी. राहुल गांधी ने कहा कि अब सरकार लगातार कीमतों का ‘विकास’ करेगी.

योगी आदित्यनाथ को ‘80-20’ की उम्मीद के उलट मिले ‘45-55’ के आंकड़े के क्या अर्थ हैं

भाजपा को यूपी में बहुमत तो ज़रूर मिला है लेकिन इसकी सहयोगी पार्टियों के वोट प्रतिशत जोड़ लेने पर भी यह केवल 45 प्रतिशत के करीब ही वोट पा सकी है. यह ध्यान में रखते हुए कि किस तरह से चुनाव में सांप्रदायिकता पर ज़ोर दिया गया, ऐसा कहना ग़लत नहीं होगा कि बचे हुए 55 प्रतिशत वोट भाजपा विरोधी थे.

सोनिया गांधी से मिलने के बाद आज़ाद ने कहा: नेतृत्व परिवर्तन मुद्दा नहीं, संगठन को लेकर सुझाव दिए

कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य गुलाम नबी आजाद ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के बाद कहा कि फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन कोई मुद्दा नहीं है, उन्होंने सिर्फ संगठन को मज़बूत बनाने तथा आगे के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर अपने सुझाव दिए हैं.

कांग्रेस के ‘जी 23’ ने कहा- सामूहिक और समावेशी नेतृत्व व्यवस्था अपनाई जाए, हर स्तर पर निर्णय हो

कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं ने कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाली सभी ताक़तों के साथ संवाद की शुरुआत करे ताकि 2024 के लिए विश्वसनीय विकल्प पेश करने का एक मंच बन सके. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग हालिया चुनावी हार की पटकथा लिखने के ज़िम्मेदार हैं, उन्हें ही चुनाव बाद के हालात के आकलन के लिए नियुक्त किया गया है.

उत्तर प्रदेश: जीत की ख़ुशी में क्या भाजपा मतदाताओं की नाराज़गी को नज़रअंदाज़ करेगी

क्या किसी सत्ता दल को मतदाताओं की नाराज़गी के आईने में अपनी शक्ल तभी देखनी चाहिए, जब वह उसे सत्तापक्ष से विपक्ष में ला पटके?

चुनावी राज्यों में किसान आंदोलन का फीका असर, पंजाब में खाता नहीं खोल पाया ‘संयुक्त समाज मोर्चा’

तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक चले प्रदर्शनों की सफलता को देखते हुए कुछ किसान संगठन राजनीति में उतरे थे, लेकिन किसान नेता बलबीर सिह राजेवाल की अगुवाई वाला ‘संयुक्त समाज मोर्चा’ पंजाब में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सका. वहीं पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा बाद भी ज़िले की आठों सीटें भाजपा के खाते में गई हैं.

विधानसभा चुनाव परिणाम: आशा और आशंका के बीच जनतंत्र कहां है

जनादेश जब इस क़िस्म का हो कि मतदाताओं का एक तबका उसमें ख़ुद को किसी तरह शामिल न कर पाए, तो उसके मायने यही होंगे कि जनता खंडित हो चुकी है.

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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सीटों के लिहाज़ से भले ही पिछड़ी हो, लेकिन मत प्रतिशत के मामले में उसने लंबी छलांग लगाई है. अपने चुनावी इतिहास में पहली बार उसे 30 फीसदी से अधिक मत मिले हैं.

उत्तर प्रदेश: चुनाव दर चुनाव साख खोती कांग्रेस के लिए वापसी की राह बेहद कठिन है

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