उमर ख़ालिद के पिता, अखिलेश यादव के साथ मिलकर साज़िश रच रहे हैं: योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपक्षी दल किसी भी हद तक जा सकते हैं. आपने देखा होगा कि हाल ही में एक पार्टी (सपा) से कौन मिलने आया था, उमर ख़ालिद के पिता. वह उमर ख़ालिद, जिसने कहा था कि ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’. इस पर समाजवादी पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री विधानसभा चुनावों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं.

गुजरात का सियासी फेरबदल क्या भाजपा की चुनाव-पूर्व असुरक्षा का सूचक है

पिछले दशकों में गुजरात भाजपा का सबसे सुरक्षित गढ़ रहा है और आज की तारीख़ में वह प्रधानमंत्री व गृहमंत्री दोनों का गृह प्रदेश है. अगर उसमें भी भाजपा को हार का डर सता रहा है तो ज़ाहिर है कि उसने अपनी अजेयता का जो मिथक पिछले सालों में बड़े जतन से रचा था, वह दरक रहा है.

गुजरात: 24 मंत्रियों ने शपथ ली, नए मंत्रिपरिषद में विजय रूपाणी सरकार का कोई सदस्य नहीं

बीते 11 सितंबर को विजय रूपाणी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसके बाद 13 सितंबर को भूपेंद्र पटेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. नए मंत्रिपरिषद में किसी पुराने मंत्री को जगह न मिलने पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा है कि दोनों ने अपनी नाकामियां छिपाने के लिए रूपाणी कैबिनेट के सभी मंत्रियों को बाहर कर दिया.

‘एक देश, एक चुनाव’ पर राजनीतिक दलों के बीच सर्वसम्मति की जरूरत: मुख्य चुनाव आयुक्त

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि 'एक देश, एक चुनाव' तब तक नहीं हो सकता, जब तक कि राजनीतिक दल साथ बैठ कर सर्वसम्मति पर नहीं पहुंच जाते हैं और कानून में जरूरी संशोधन नहीं लाया जाता है.

‘एक देश, एक चुनाव’ का विचार फिलहाल संभव नहीं: मुख्य चुनाव आयुक्त

मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों में सहमति होना ज़रूरी है. वहीं, एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में भाजपा की दलील है कि देश हमेशा चुनावी मोड में नहीं रह सकता.

हार्दिक ने गुजरात में भाजपा पर बेईमानी और धनबल से चुनाव जीतने का आरोप लगाया

हार्दिक ने दावा किया, मतदान के दौरान कई जगह वाई-फाई नेटवर्क पकड़ा गया. कई स्थानों पर मतगणना से पहले ईवीएम की सील टूटी मिली.

क्या गुजरात में मोदी की चमक फीकी पड़ गई ​है?

गुजरात में अपनी कमज़ोरियों के कारण कांग्रेस भले ही बाज़ी नहीं पलट पायी, लेकिन मतदाताओं ने पिछली बार से डेढ़ दर्जन ज़्यादा सीटें देकर साफ कर दिया है कि वे ‘अपने’ प्रधानमंत्री के ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ के आह्वान को कान नहीं दे रहे.

गुजरात चुनाव में भाजपा की जीत विपक्ष के लिए सुखद संदेश लाई है

अगर हिंदुत्ववादी आख्यान का जादू इस देश में चलेगा तो इससे यही प्रमाणित होता है कि भारत की राजनीति में विचारधारा की मौत नहीं हुई है. वह अगर दक्षिणपंथ के रूप में जिंदा है तो उसके वामपंथी या मध्यमार्गी होने की संभावना भी है.