त्राल में यूपी के श्रमिक पर गोली चलने से पहले बीते 20 अक्टूबर को गांदरबल जिले में एक निर्माण स्थल पर आतंकी हमले में छह प्रवासी मज़दूरों समेत एक स्थानीय डॉक्टर की मौत हो गई थी. 18 अक्टूबर को भी शोपियां में आतंकियों ने बिहार के एक श्रमिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
इससे पहले, खासी छात्र संघ और अन्य संगठनों के सदस्यों पर शिलांग के लैतुमखराह और पोलो क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों पर हमला करने का आरोप लगा था. मार्च और अप्रैल महीने में कुछ गैर-आदिवासी श्रमिकों को पीट-पीटकर मार डालने की भी ख़बरें भी सामने आई थीं.
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फैक्ट-चेक करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को धमकियां मिलने का सिलसिला तब से शुरू हुआ, जब उनके संस्थान ने तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मज़दूरों पर हो रहे हमलों संबंधी कथित दावों का पर्दाफाश किया था.
28 सितंबर को गुजरात के साबरकांठा ज़िले में 14 महीने की मासूम से बलात्कार का आरोप बिहार मूल के एक व्यक्ति पर लगने के बाद राज्य के आठ ज़िलों में उत्तर भारतीय मज़दूरों के ख़िलाफ़ हिंसा शुरू हो गई जिसके बाद वहां से पलायन जारी है.
जब प्रधानमंत्री अपने 2019 के चुनावी मंसूबों को नए-नए पंख लगाने के फेर में हैं, उनके गृहराज्य गुजरात के उपद्रवी तत्व एक बच्ची से बलात्कार का बदला लेने के बहाने उनके ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे की हवा निकाल देने में लगे हुए है.
जन गण मन की बात की 314वीं कड़ी में विनोद दुआ सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद हो रही राजनीति और गुजरात में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हो रहे हमलों पर चर्चा कर रहे हैं.
गुजरात में मासूम से बलात्कार की घटना के बाद वहां के लोग यूपी-बिहार के लोगों के ख़िलाफ़ गोलबंद हो गए हैं. इसमें उनकी गलती नहीं. हाल के दिनों में बलात्कार को राजनीतिक रूप देने के लिए धार्मिक पृष्ठभूमि को उभारा गया है ताकि उसके बहाने एक समुदाय विशेष पर टूट पड़ें.
साबरकांठा जिले में 14 माह की बच्ची से बलात्कार के आरोप में बिहार के एक मजदूर की गिरफ़्तारी के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में ग़ैर गुजरातियों पर हमले हुए हैं. हमलों का आरोप क्षत्रिय ठाकोर सेना पर है, जिसका कहना है कि अन्य राज्यों के प्रवासी कामगारों को गुजरात में नौकरी नहीं दी जानी चाहिए.