बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बच्ची के यौन उत्पीड़न को लेकर पॉक्सो के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति को इससे बरी करते हुए कहा था कि 'त्वचा से त्वचा के संपर्क' के बिना यौन हमला नहीं माना जा सकता है. शीर्ष अदालत ने इसे रद्द करते हुए कहा कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यौन मंशा है, त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं.
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक बच्ची के यौन उत्पीड़न के लिए पॉक्सो व आईपीसी के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति को पॉक्सो से बरी करते हुए कहा था कि स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट के बिना नाबालिग बच्ची की छाती छूना यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस निर्णय को अपमानजनक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से इसे पलटने को कहा है.