सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण पर रोक लगाई, केंद्र से जवाब तलब किया

उपासना स्थल क़ानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में शीर्ष अदालत ने किसी भी तरह के नए सर्वे और केस दर्ज करने पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.

अयोध्या विवाद: किन्हें, क्यों और कैसे याद आएंगे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

कई जानकारों का कहना है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में (खासकर अंतिम दिनों में) जो कुछ भी कहा व किया, उससे इस बात को ख़ुद अपने ही हाथों निर्धारित कर डाला कि इतिहास उनके प्रति कैसा सलूक करे.

जब भाजपा नेताओं ने रिटायर जजों की फ़ौरन नियुक्तियों पर सवाल उठाए थे…

साल 2012 में भाजपा के दिवंगत नेता और पूर्व क़ानून मंत्री अरुण जेटली ने एक कार्यक्रम में सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति के चलन पर सवाल उठाए थे. इसी कार्यक्रम में मौजूद भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद दो सालों (नियुक्ति से पहले) का अंतराल होना चाहिए वरना सरकार अदालतों को प्रभावित कर सकती है और एक स्वतंत्र, निष्पक्ष न्यायपालिका कभी भी वास्तविकता नहीं बन पाएगी.

पूर्व न्यायाधीश जस्टिस नज़ीर की नियुक्ति पर विपक्ष ने कहा- न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ख़तरा

जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 2019 के ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा रहे थे. उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. उनसे पहले पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था, जबकि जस्टिस अशोक भूषण को उनकी सेवानिवृत्ति के चार महीने बाद राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

अयोध्या मामले में निर्णय देने वाली पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस नज़ीर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल होंगे

बीते जनवरी में रिटायर हुए जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के तीसरे ऐसे न्यायाधीश हैं, जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मोदी सरकार द्वारा किसी अन्य पद के लिए नामित किया गया है.

हम भी भारत: एक थी बाबरी मस्जिद

वीडियो: 6 दिसंबर 2019 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के 27 साल पूरे हो गए. हम भी भारत की इस कड़ी में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की इस बारे में सामजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली से बातचीत कर रही हैं.

बाबरी मस्जिद विध्वंस: साहित्य में दर्ज हुए कुछ अनकहे-अनसुने बयान

6 दिसंबर 1992 को सिर्फ एक मस्जिद नहीं गिरायी गई थी, उस दिन संविधान की बुनियाद पर खड़ी लोकतंत्र की इमारत पर भी चोट की गई थी. अतीत में जो कुछ हुआ उसे फिर से उलट-पलट कर देखने का मौका साहित्‍य देता है. हिंदी साहित्‍य में यह घटना भी कई रूपों में दर्ज है.

अयोध्या फ़ैसला: इंसाफ़ के बिना शांति संभव नहीं

वीडियो: बीते नौ नवंबर को शीर्ष अदालत ने अयोध्या मामले में उन लोगों के पक्ष में फ़ैसला दिया, जो सीधे तौर पर बाबरी मस्जिद गिराने के मुख्य आरोपियों से जुड़े हुए हैं और यह देश के लिए ठीक नहीं है. इस विषय पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

…जब प्रधानमंत्री नेहरू के बार-बार कहने के बाद भी बाबरी मस्जिद में रखी मूर्तियां नहीं हटाई गईं

पुस्तक अंश: अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद में वर्ष 1949 में मूर्ति रखने के बाद की घटनाएं यह प्रमाणित करती हैं कि कम-से-कम फ़ैज़ाबाद के तत्कालीन ज़िलाधीश केकेके नायर तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत यदि मूर्ति स्थापित करने के षड्यंत्र में शामिल न भी रहे हों, तब भी मूर्ति को हटाने में उनकी दिलचस्पी नहीं थी.

1948 में जब समाजवादी नेता को हराने के लिए फ़ैज़ाबाद कांग्रेस ने राम जन्मभूमि का कार्ड खेला था

पुस्तक अंश: फ़ैज़ाबाद में 1948 में हुए उपचुनाव में समाजवादी नेता आचार्य नरेंद्र देव मैदान में थे. कांग्रेस ने उनके ख़िलाफ़ देवरिया के बाबा राघव दास को अपना प्रत्याशी बनाया. चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने कहा था कि आचार्य नरेंद्र की विद्वत्ता का लोहा भले दुनिया मानती है, लेकिन वे नास्तिक हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या ऐसे व्यक्ति को कैसे स्वीकार कर पाएगी?

‘इतनी निष्पक्ष है सशक्त सत्ता कि निष्पक्षता भी रख ले दो मिनट का मौन’

आज जब यह सच्चाई और कड़वी होकर हमारे सामने है कि उस दिन बाबरी मस्जिद को शहीद करने वालों ने न सिर्फ अयोध्या बल्कि शेष देश में भी बहुत कुछ ध्वस्त किया था, यह देखना संतोषप्रद है कि देश के कवियों ने इस सच्चाई को समय रहते पहचाना और उसे बयां करने में कोई कोताही नहीं बरती.

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं: ज़फ़रयाब जिलानी

बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि वे वकीलों से बात करने के बाद पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में निर्णय लेंगे.