अयोध्या आज एक कुरु-सभा बन गई है जिसके मंच पर भारतीय सभ्यता का चीरहरण हो रहा है

अयोध्या की सभा असत्य और अधर्म की नींव पर निर्मित हुई है, क्योंकि जिसे इसके दरबारीगण सत्य की विजय कहते हैं, वह दरअसल छल और बल से उपजी है. अदालत के निर्णय का हवाला देते हुए ये दरबारी भूल जाते हैं कि इसी अदालत ने छह दिसंबर के अयोध्या-कांड को अपराध क़रार दिया था.

मांगती है सईदा पिछले तीस बरसों का हिसाब

पुस्तक समीक्षा: आज की मूलतः पुरुष केंद्रित पत्रकारिता के बीच पत्रकार नेहा दीक्षित अपनी किताब 'द मैनी लाइव्स ऑफ सईदा एक्स' में एक मुस्लिम महिला और असंगठित मज़दूर की कहानी कहने का जोखिम उठाती हैं.

‘हिंदू समाज ने राजनीतिक ग़ुलामी भोगी, लेकिन वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा कायर कभी नहीं रहा’

पुस्तक अंश: जो अपने घोषित सिद्धांतों पर नहीं टिक सकता और जो सुविधा के मुताबिक सिद्धांत बदलता रहता है वह कायर है या वीर?

किताबों से दंगों का ज़िक्र हटाने पर एनसीईआरटी निदेशक बोले- पॉजिटिव नागरिक चाहिए, हिंसक नहीं

एनसीईआरटी प्रमुख ने एक साक्षात्कार में कक्षा 12वीं के राजनीति विज्ञान की किताब से गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ को हटाए जाने को सही ठहराया है. उन्होंने बताया कि एक विशेषज्ञ समिति ने महसूस किया था कि कुछ चुनिंदा दंगों का उल्लेख करना सही नहीं है.

कोई भाईचारा नहीं था कभी, न कोई गंगा जमुनी तहज़ीब…

भारतीय जनतंत्र एक वादा था और हिंदू-मुसलमान भाईचारा उसकी बुनियाद. लेकिन आज मुसलमान ख़ुद को बराबरी का नागरिक नहीं मान पा रहा है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की उन्नीसवीं क़िस्त.

‘जिन्होंने बाबरी मस्जिद तोड़ी, उन्हें भाजपा राज्यसभा भेज रही है’

वीडियो: महाराष्ट्र से जिन लोगों को राज्यसभा में भेजने का ऐलान भाजपा ने किया है उनमें से एक वह हैं, जो बाबरी विध्वंस के समय गुंबद पर खड़े थे. जो कारसेवा के काम में लगे थे. उनका नाम अजीत गोपचड़े है. हाल ही में भाजपा ने महाराष्ट्र से गोपचड़े के अलावा कांग्रेस से आए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण, पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

महाराष्ट्र: एफटीआईआई में हिंदुत्ववादियों के बाबरी संबंधी बैनर को जलाने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया

23 जनवरी को पुणे में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) परिसर में बाबरी मस्जिद विध्वंस पर बनी एक फिल्म की स्क्रीनिंग को लेकर हिंदुत्ववादी संगठनों के सदस्यों द्वारा छात्रों पर हमला करने की ख़बर आई थी. बताया गया है कि उन लोगों ने 'रिमेंबर बाबरी' लिखे एक बैनर को भी जलाया था.

‘1992 के अपराधी आज के राष्ट्रवादी हो चले हैं’

वीडियो: टीवी मीडिया में क़रीब दो दशकों तक काम करने वाले दयाशंकर मिश्र द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर लिखी गई किताब के विमोचन समारोह में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का वक्तव्य.

22 जनवरी 2024: ‘वो दिन जब मेरे सपनों का भारत मर गया’

वीडियो: अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा: अब क्या है आगे का रास्ता

वीडियो: राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर प्रोफेसर अपूर्वानंद, लेखक धीरेंद्र के. झा, वलय सिंह, द वायर के संपादकों- सिद्धार्थ वरदराजन और सीमा चिश्ती के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

राम मंदिर या ‘मोदी’ का मंदिर!

वीडियो: अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का पूर्ण 'राजनीतिकरण' क्या हिंदुओं के लिए आत्मचिंतन का समय है? इस बारे में द वायर के संपादकों- सिद्धार्थ वरदराजन और सीमा चिश्ती के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

राम मंदिर: बाबरी मस्जिद की छाया में

वीडियो: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की यात्रा पर वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद की बातचीत.

राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले आडवाणी उद्घाटन समारोह में नहीं पहुंचे, ठंड का हवाला दिया

आडवाणी ने 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया था और उनकी रथयात्रा 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के साथ समाप्त हुई थी. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कथित तौर पर उन्हें और उनके सहयोगी मुरली मनोहर जोशी को 22 जनवरी के समारोह में शामिल नहीं होने के लिए कहा था. हालांकि बाद में उन्हें आमंत्रित कर दिया गया था.

तेलंगाना में ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर एफ़आईआर दर्ज, चार लोग गिरफ़्तार

तेलंगाना के रचाकोंडा में एक रेस्तरां में आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंट्री ​‘राम के नाम​’ की स्क्रीनिंग आयोजित की गई थी. पुलिस को दी गई शिकायत में आरोप लगाया था कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित की गई थी.

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