साक्षात्कार: चार साल पुराने एक ट्वीट के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने क़रीब तीन हफ्ते जेल में बिताए. इस बीच यूपी पुलिस द्वारा उन पर कई मामले दर्ज किए गए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि उनकी लगातार हिरासत का कोई औचित्य नहीं है. उनसे बातचीत.
असम में जोरहाट के डीसीबी कॉलेज में बीएसएस गणित की दूसरे वर्ष की छात्रा को उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) के समर्थन में सोशल मीडिया पर कथित रूप से कविता लिखने को लेकर बीते 18 मई को गिरफ़्तार किया गया था. उसके बाद से वह गोलाघाट केंद्रीय कारागार में बंद थीं.
फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को ज़मानत देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि उन्हें लगातार हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है. अदालत ने उन्हें बुधवार को ही रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही उनके ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामले दिल्ली पुलिस को जांच के लिए सौंप दिए और यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी को भी समाप्त करने का निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव की चिकित्सा आधार पर नियमित ज़मानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी कर अपना रुख़ स्पष्ट करने को कहा. राव ने चिकित्सा के आधार पर स्थायी ज़मानत संबंधी उनकी अपील को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा ख़ारिज किए जाने के फ़ैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाख़िल की है.
वीडियो: साल 2018 में किए गए एक ट्वीट को लेकर ‘धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर बीते 27 जून को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. इसके अलावा वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में एक साथ छह मुक़दमों का सामना कर रहे हैं. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
दिल्ली पुलिस द्वारा ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ दर्ज चार साल पुराने ट्वीट संबंधी मामले में ज़मानत देते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए असहमति की आवाज़ ज़रूरी है. किसी भी राजनीतिक दल की आलोचना के लिए आईपीसी की धारा 153ए और 295ए लागू करना उचित नहीं है.
एल्गार परिषद मामले के आरोपी गौतम नवलखा और सागर गोरखे जेल में मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी. सुनवाई के दौरान जेल अधिकारियों ने बताया कि क़ैदियों द्वारा मच्छरदानी का उपयोग देना जोख़िम भरा है, क्योंकि इनका उपयोग कोई व्यक्ति स्वयं या दूसरों का गला घोंटने के लिए कर सकता है. इधर, अदालत ने मामले में शोमा सेन, सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग और महेश राउत की ज़मानत याचिका भी ख़ारिज कर दी है.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय वरवरा राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें स्थायी चिकित्सा ज़मानत के उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया गया था. उन्हें चिकित्सा ज़मानत मिली थी और जुलाई में आत्मसमर्पण करना है. याचिका में कहा गया है कि आगे की कोई भी क़ैद उनके ख़राब होते स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते उनके लिए मौत की घंटी होगी.
कांग्रेस की केरल इकाई के पूर्व नेता पीसी जॉर्ज ने अप्रैल महीने में दिए मुस्लिम-विरोधी बयान के लिए एक मई को गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने बताया कि मजिस्ट्रेट अदालत ने ज़मानत देते हुए निर्देश दिया था कि आरोपी ऐसा कोई विवादित बयान न दें जिससे दूसरों की धार्मिक भावनाएं आहत हों. लेकिन उन्होंने ऐसा किया.
तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में 21 मई, 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने ख़ुद को विस्फोट से उड़ा लिया था, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत हो गई थी. महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी. मामले के चारों दोषियों एजी पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सज़ा दी गई थी, जिसे बाद में उमक़ैद में बदल दिया गया था.
वीडियो: गुजरात के वडगाम से कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक ट्वीट के संबंध में असम पुलिस ने बीते दिनों गिरफ़्तार कर लिया था. इस मामले में ज़मानत पर रिहा होने के बाद मेवाणी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक ट्वीट के कारण असम पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद रिहा किए गए विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामले गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें ‘बदनाम करने’ की ‘पूर्व नियोजित साज़िश’ का हिस्सा थे. उन्होंने इसे ‘56 इंच का कायरतापूर्ण’ कृत्य क़रार दिया. उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ़्तारी के पीछे पीएमओ में बैठे कुछ गोडसे भक्त थे.
कांग्रेस की केरल इकाई के पूर्व नेता पीसी जॉर्ज ने अनंतपुरी हिंदू महासम्मेलन में एक कार्यक्रम में कहा था कि केरल में मुस्लिम समुदाय द्वारा चलाए जा रहे रेस्तराओं में ग़ैर-मुसलमानों को नहीं जाना चाहिए. देश पर क़ब्ज़ा करने के लिए मुस्लिमों द्वारा संचालित रेस्तराओं में नपुंसकता पैदा करने वाली चाय बेची जाती है.
गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को कथित तौर पर प्रधानमंत्री से जुड़े एक ट्वीट के संबंध में असम पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था. इस मामले में ज़मानत पर रिहा होने के बाद मेवाणी ने कहा कि भाजपा और आरएसएस फासीवादी हैं. जब ऐसी मान्यताओं वाले लोग सत्ता में आते हैं तो उनके सभी प्रयास लोकतंत्र को ख़त्म करने की ओर होते हैं. उन्होंने कहा कि इसी मानसिकता के कारण उन्हें एक फ़र्ज़ी मामले में फ़ंसाया गया.
गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवाणी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले ट्वीट से संबंधित मामले में ज़मानत मिलने के तुरंत बाद असम पुलिस की एक महिला कर्मचारी से कथित तौर पर छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ़्तार किया था.