बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के बारे में विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके सभी अंग विकसित हो रहे हैं, हालांकि बढ़ती हुई असमानता आज भी चिंता का विषय है.
बांग्लादेश में भारत के विरोध के तीन प्रमुख कारण नज़र आते हैं- सांप्रदायिक ताक़तें, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल और घरेलू कारणों से भारत को लेकर खड़ा किया गया भय.
भारत के लिए आवश्यक है कि वह बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों से अच्छे संबंध कायम करे. यह रेखांकित करना चाहिए कि विपक्ष को 40 फीसदी मतदाताओं का समर्थन है
बांग्लादेश: शेख़ हसीना के देश छोड़ने के बाद से 232 लोगों की मौत; हिंसा के ख़िलाफ़ हिंदुओं का प्रदर्शन
प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफ़ा देने और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच भारत पहुंचने के बाद बांग्लादेश में विभिन्न हमलों और संघर्षों में कम से कम 232 लोगों की मौत हो गई है. देश में 16 जुलाई से 4 अगस्त के बीच आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलनों के दौरान कुल 328 मौतें हुईं थीं.
शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ हुआ विद्रोह अपनी तार्किक परिणति पर तब तभी पहुंच सकता है जब वह छात्रों को सुनेगा: यह आंदोलन एक ऐसा समाज बनाने का आंदोलन है जिसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव न होगा.
बांग्लादेश में शुरुआत में आरक्षण को लेकर शुरू हुए प्रदर्शन ने सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया था. देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख़ हसीना देश छोड़कर भारत में उत्तर प्रदेश स्थित भारतीय वायुसेना के हिंडन एयरबेस पहुंची हैं. वहीं, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने कहा है कि अब देश में अंतरिम सरकार का गठन किया जा रहा है.