देश के सत्ताधारी आदिवासी के सवाल और माओवाद को एक आईने से देखते हैं. आदिवासी संघर्ष माओवाद की राजनीति के लिए स्पेस जरूर देते हैं, पर आदिवासी प्रश्न का अर्थ माओवाद नहीं है और आदिवासी होना माओवादी होना नहीं है.
छत्तीसगढ़ पुलिस अबूझमाड़ में हुई हालिया मुठभेड़ को पिछले 24 साल का सबसे बड़ा अभियान बता रही है. हालांकि, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सिविल लिबर्टीज़ कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से इसकी न्यायिक जांच की मांग की है.
छत्तीसगढ़ के बस्तर में मानवाधिकारों की चिंताजनक स्थिति पर एक हालिया रिपोर्ट कहती है कि सुरक्षा बलों के शिविरों को सरकार माओवादी आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी बताती है, वहीं ग्रामीणों का कहना है कि शिविरों से उन्हें अधिक असुरक्षा महसूस होती है.
कश्मीर का भारत में विलय सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जिसे दैनिक स्तर पर अंजाम दिए बगैर काम नहीं चलेगा.
दक्षिणपंथी कश्मीर को मुस्लिम आक्रांता की भूमि घोषित कर इसका भारत से अलगाव गहरा कर रहे हैं. पिछले पांच वर्षों में कश्मीर की भारत से खाई बढ़ गई है.
छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िला स्थित छिंदबहार गांव के निवासी ईश्वर कोर्राम की मृत्यु अप्रैल के अंतिम सप्ताह में हुई थी, लेकिन ग्रामीणों ने यह कहकर गांव में उनका अंतिम संस्कार नहीं होने दिया कि वह ईसाई धर्म अपना चुके थे. इस तरह के मामले पूरे छत्तीसगढ़ से सामने आ रहे हैं, जहां ईसाई आदिवासियों की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार होने से रोका जा रहा है.
छत्तीसगढ़ की आदिवासी बहुल बस्तर लोकसभा सीट पर तीन मुख्य उम्मीदवार भिन्न विचारधारा से जुड़े हैं. परंपरागत भाजपा-कांग्रेस मुकाबला इस बार सलवा जुड़ुम के एक दिवंगत नेता के बेटे के निर्दलीय उतरने के बाद रोचक हो गया है. यहां पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है.
चार बार के सांसद विष्णु देव साय साल 2020 से 2022 तक पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष रहे थे. साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में वह केंद्रीय खान और इस्पात राज्य मंत्री थे. हाल ही में हुए चुनावों में भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 54 सीटें जीतकर भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदख़ल कर दिया.
छत्तीसगढ़ का नारायणपुर ज़िला राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में मिशनरियों द्वारा ‘जबरन धर्मांतरण’ के भाजपा के दावों का केंद्र बनकर उभरा है. नए साल की शुरुआत पर हालात तब बिगड़ गए थे, जब यहां के विश्वदीप्ति हाई स्कूल के अंदर स्थित सेक्रेड हार्ट चर्च में भीड़ द्वारा तोड़फोड़ की गई थी.
कथित एनकाउंटर में मारे गए रावा देवा और सोडी कोसा ताड़मेटला गांव के निवासी थे. परिवारों का कहना है कि दोनों किसान थे और उनके पास उनकी पहचान के वैध दस्तावेज़ भी हैं. वहीं, पुलिस ने दोनों के नक्सली होने का दावा किया है. सुकमा कलेक्टर ने बताया कि मामले के तथ्यों का पता लगाने के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
साक्षात्कार: बस्तर में चल रहे संघर्ष और दमन पर समाजशास्त्री और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर की किताब 'द बर्निंग फ़ॉरेस्ट: इंडियाज़ वॉर इन बस्तर' का हिंदी अनुवाद हाल में आया है. क्षेत्र के हालात को लेकर विस्तृत शोध और सलवा जुडूम पर लड़ी गई कानूनी लड़ाई को लेकर उनसे बातचीत.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले का मामला. एक रिपोर्ट के अनुसार, दरभा गांव में रहने वाले तीन परिवारों से कथित तौर पर 2 जुलाई को कथित माओवादियों ने मुलाकात की और उनसे सीआरपीएफ भर्ती हुए युवकों को बल छोड़ने के लिए मनाने या उनके परिवारों को परिणाम भुगतने के लिए कहा गया था. उसके बाद उन्होंने गांव छोड़ दिया.
घटना बस्तर संभाग के नारायणपुर ज़िले के गोर्रा गांव में हुई, जहां ईसाई परिवारों की एक बैठक पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया. लगभग दो हफ्ते पहले क्षेत्र के ग्रामीणों ने नारायणपुर कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया था कि हिंदुत्ववादी संगठनों के उकसावे पर ईसाइयों के साथ हिंसा की जा रही है.
बस्तर संभाग के नारायणपुर ज़िले में कलेक्ट्रेट के बाहर सैकड़ों लोग डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने कलेक्टर को सौंपे एक ज्ञापन में आरोप लगाया है कि आरएसएस और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों के उकसावे पर ईसाइयों के साथ हिंसा की जा रही है. उनकी मांग है कि दोषियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कार्रवाई की जाए.
छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िला मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 12 किलोमीटर दूर मालगांव में हुआ हादसा. पुलिस ने बताया कि ग्रामीण अपने निजी इस्तेमाल के लिए पिछले कई दिनों से मिट्टी खोद रहे थे और यह कोई व्यावसायिक खदान नहीं थी.