अप्रैल 2019 में बिश्वनाथ ज़िले के 48 वर्षीय शौक़त अली को भीड़ ने उनकी दुकान पर पका हुआ गोमांस बेचने के आरोप में पीटा था और सुअर का मांस खिलाया था. एनएचआरसी ने असम सरकार को अली के मानवाधिकार उल्लंघन के लिए एक लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया है.
छात्रा का कहना है कि उन्होंने यह पोस्ट जून 2017 में लिखी थी और उसे तुरंत डिलीट भी कर दिया था. इस संबंध में असम पुलिस ने मामला दर्ज किया है.
आदिवासी प्रोफेसर जीतराई हांसदा के वकील ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ जून, 2017 में मामला दर्ज किया गया था. वकील ने आशंका जताई कि यह गिरफ़्तारी जानबूझकर चुनावों के बाद की गई है. चुनाव से पहले गिरफ़्तारी करके भाजपा आदिवासियों को नाराज़ करके चुनावों में उनका वोट गंवाना नहीं चाहती थी.
असम के बिश्वनाथ जिले में पिछले सप्ताह एक मुस्लिम शख्स के साथ मारपीट की गई थी और उसे जबरन सुअर का मांस खिलाया गया था.
सोशल मीडिया पर सामने आए इस घटना के वीडियो में पीड़ित को कीचड़ में घुटनों के बल बैठे देखा जा सकता है और भीड़ पीड़ित से पूछती दिख रही है कि क्या उसके पास गोमांस बेचने का लाइसेंस है?
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