दादरी में पीट-पीटकर मार दिए गए अख़लाक़ के भाई का कहना है कि उनके परिवार पर लगे गोहत्या के आरोप के बाद पुलिस ने अब तक किसी परिजन का बयान तक नहीं लिया है.
उत्तर प्रदेश में दादरी के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर, 2015 को हुए मोहम्मद अख़लाक़ की भीड़ ने बीफ़ खाने के संदेह में पीट-पीट कर हत्या कर दी थी.
नीतीश मुख्यमंत्री पद के तथाकथित ‘बलिदान’ के कुछ ही घंटों के भीतर भाजपा के समर्थन से फिर उसी कुर्सी पर काबिज़ हो गए, जो प्रदेश की जनता द्वारा दिए गए जनादेश से धोखा करने जैसा है.
प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने मांस निर्यात को लेकर यूपीए सरकार पर हमला बोला था, लेकिन ख़ुद उनके कार्यकाल में मांस निर्यात बढ़ गया है.
राज्य के कृषि मंत्री ने कहा, अधिसूचना ने गोवा के लोगों के मन में आशंकाएं पैदा कर दी हैं. उन्हें यह डर है कि सरकार हर किसी को शाकाहारी बनाना चाहती है.
सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
मिज़ोरम की राजधानी आइजोल में गृह मंत्री के दौरे के समय स्थानीय लोगों ने बीफ फेस्टिवल का आयोजन किया.
मेघालय सरकार का तर्क है कि केंद्र की इस अधिसूचना से राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ ही लोगों के खान-पान की संस्कृति प्रभावित होगी.
जन गण मन की बात की 66वीं कड़ी में विनोद दुआ ‘जय जवान, जय किसान’ और बीफ़ विवाद पर चर्चा कर रहे हैं.
पांच हज़ार कार्यकर्ताओं के अलावा, पांच मंडल इकाइयां भी भंग हो गई हैं. इसके पहले दो बड़े नेता इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ चुके हैं.
भाजपा से इस्तीफा देने के बाद बाचू ने कहा, ‘मैं लोगों की भावनाओं को लेकर समझौता नहीं कर सकता. बीफ खाना हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है. हमें भाजपा की गैरकानूनी विचारधारा स्वीकार नहीं है.’
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री खांडू ने कहा, ‘केंद्र सरकार को इस नोटिफिकेशन पर दोबारा सोचना चाहिए. पूरे नॉर्थ ईस्ट में आदिवासियों की अच्छी ख़ासी संख्या है और वे मांसाहारी हैं.’
प्रदेश के तूरा ज़िले के भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार बनी तो गोमांस पर प्रतिबंध नहीं लगेगा बल्कि दाम घटाया जाएगा.
हिंदुत्ववादी गिरोह क़ानून, विस्थापन, हत्याओं और धमकियों के सहारे दलितों और मुस्लिमों की जीवन पद्धति को नष्ट करने में लगे हुए हैं.
इस महीने असम के मुख्यमंत्री के रूप में एक साल पूरे करने जा रहे सर्बानंद सोनोवाल का कहना है कि एक सुदृढ़ शासन व्यवस्था बनाने के लिए जनता की आवाज़ को भी सुना जाना ज़रूरी है.